दुकानों पर नेमप्लेट अनिवार्य करने को लेकर पीआईएल , सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को जारी किया नोटिस

Spread the love

नई दिल्ली , देशभर की सभी दुकानों पर नेमप्लेट लगाने की मांग वाली जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
यह याचिका वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है, जिसमें मांग की गई है कि सभी दुकानों, रेहड़ी-पटरी वालों, शोरूम, डिस्ट्रीब्यूटर और डीलरों के लिए नेमप्लेट लगाना अनिवार्य किया जाए। इससे उपभोक्ताओं को दुकानदार की पहचान, पता, संपर्क नंबर और सामान की गुणवत्ता की पूरी जानकारी मिल सकेगी।
वकील अश्विनी उपाध्याय ने इस संबंध में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उपभोक्ता का जानने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकार है।
अश्विनी उपाध्याय ने बताया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम और खाद्य सुरक्षा अधिनियम में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि चाहे वह रेहड़ी-पटरी वाला हो, छोटा दुकानदार हो, शोरूम का मालिक हो, डिस्ट्रीब्यूटर हो या डीलर हो, सभी को अपने प्रतिष्ठान के बाहर एक डिस्प्ले बोर्ड लगाना चाहिए। इस बोर्ड पर दुकानदार का नाम, पता, लाइसेंस नंबर और रजिस्ट्रेशन नंबर जैसी जानकारी अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। हालांकि, देशभर में इस नियम का पालन नहीं हो रहा है।
उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि वह हाल ही में हरिद्वार, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र गए थे, जहां उन्होंने देखा कि कई दुकानों, खासकर खान-पान से जुड़ी दुकानों पर कोई नेमप्लेट या जानकारी प्रदर्शित नहीं थी। इससे उपभोक्ताओं को दुकानदार की पहचान और सामान की गुणवत्ता के बारे में जानकारी प्राप्त करने में कठिनाई होती है। खासकर व्रत और त्योहारों के दौरान, जब लोग अपनी खाने की पसंद-नापसंद को लेकर सजग रहते हैं, ऐसी जानकारी का अभाव उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का कारण बनता है।
अश्विनी उपाध्याय ने आगे कहा, यह नियम केवल कांवड़ यात्रा या किसी विशेष अवसर तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि पूरे देश में साल के 365 दिन लागू होना चाहिए। यह उपभोक्ताओं का मौलिक अधिकार है, जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, खाद्य सुरक्षा अधिनियम और संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत सुनिश्चित किया गया है।
उन्होंने कहा कि कई बार दुकानों पर डिस्प्ले बोर्ड न होने के कारण उपभोक्ता दुकानदार की पहचान नहीं कर पाते और उनकी शिकायत जिला उपभोक्ता मंच तक नहीं पहुंच पाती। नेमप्लेट अनिवार्य होने से उपभोक्ता आसानी से दुकानदार की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे और जरूरत पड़ने पर कानूनी कार्रवाई कर सकेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *