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अगले तीन दिन दिल्लीवासियों पर पड़ सकते हैं भारी
-दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंचने की संभावना
-सरकार को उठाने होंगे तत्काल सख्त कदम
नई दिल्ली, एजेंसी: दिल्ली में प्रदूषण ने विकराल रूप ले लिया है। जिससे वहां लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। मौसम वैज्ञानिकों और पर्यावरण एक्सपट्र्स के अनुसार अगले तीन दिन हवा में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंचने की संभावना है। ऐसे में सरकार को तत्काल प्रभाव से सख्त कदम उठाने होंगे।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सफर के निदेशक डा. गुफरान बेग का कहना है कि 16 नवंबर से अगले तीन दिनों तक हवा में प्रदूषण का स्तर काफी तेजी से बढ़ेगा। वहीं पराली का धुआं भी दिल्ली के प्रदूषण को और बढ़ाएगा। बेग ने कहा कि पराली जलाने के मामलों पर जल्द नियंत्रण नहीं किया गया तो हालात और खराब हो सकते हैं। बीते 13 नवंबर को कुल 3157 पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए जिनके चलते दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 31 फीसद तक पहुंच गई।
सेंटर फॉर साइंस एंड इंवायरनमेंट के विवेक चट्टोपध्याय का कहना है कि दिल्ली में हवा की रफ्तार बेहद कम है। यहां हवा में पहले से प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा हुआ है। इसके अलावा पराली का धुआं इसे अधिक बढ़ा रहा है।
मौसम वैज्ञानिक समरजीत चौधरी का कहना है कि अगले तीन दिन दिल्ली में हवा की गति बेहद कम रहेगी। इसके चलते हवा में प्रदूषण का स्तर और अधिक बढ़ने की संभावना है। वहीं नॉर्थ वेस्ट की धीमी हवाएं अगर दिल्ली की तरफ आएगी तो पराली का धुआं हवा में और अधिक बढ़ेगा।
सफर ने दी ये सलाह
बुजुर्गों, बच्चों और सांस की बीमारियों से ग्रसित लोगों को घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए। अधिक शारीरिक श्रम नहीं करना चाहिए। अस्थमा से पीड़ित लोगों को अपनी दवाएं पास रखनी चाहिए।
केंद्र ने बताई दिल्ली के प्रदूषण में विभिन्न क्षेत्रों की हिस्सेदारी
केंद्र सरकार ने कोर्ट को दिए शपथ पत्र में दिल्ली के वायु प्रदूषण के कारणों को भी उजागर किया है। इनमें बताया गया है कि सर्दियों में दिल्ली में होने वाले वायु प्रदूषण के पीएम-2.5 स्तर में जिस क्षेत्र का प्रमुख हिस्सा होता है, उसमें 30 फीसद उद्योगों का, 28 फीसद वाहनों का, 17 फीसद धूल और निर्माण कार्यों का, 10 फीसद घरों से होने वाला प्रदूषण और पराली का औसतन चार प्रतिशत होता है। वहीं, गर्मी के दिनों में पीएम-2.5 में 38 फीसद धूल और निर्माण कार्यों से होने वाला प्रदूषण होता है, जबकि 22 फीसद उद्योगों का और 17 फीसद वाहनों से होने वाला प्रदूषण होता है।
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15 दिनों के लिए बढ़ेगा रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ अभियान
-बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए लिया गया फैसला
-अभियान का दूसरा चरण 19 नवंबर से चलेगा तीन दिसंबर तक
नई दिल्ली, एजेंसी: दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या को देखते हुए वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर रोक लगाने को रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ अभियान को 15 दिनों के लिए और बढ़ाया जाएगा। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने मंगलवार को इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 18 नवंबर को समाप्त होने वाले ‘रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ’ अभियान को 15 दिन और बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। अभियान का दूसरा चरण 19 नवंबर से तीन दिसंबर तक चलेगा।
गोपाल राय ने बताया कि पंजाब, हरियाणा, यूपी, हरियाणा के अधिकारियों के साथ आज हुई बैठक में दिल्ली सरकार ने प्रस्ताव दिया कि वर्क फ्रॉम होम को एनसीआर क्षेत्रों में भी लागू किए जाने के साथ ही निर्माण कार्य पर रोक लगनी चाहिए और उद्योग भी बंद होने चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए अपने हलफनामे में पराली जलने से दिल्ली में प्रदूषण में उसका योगदान 4% और उसी हलफनामे में दूसरी जगह 35-40% बताया है। ये दोनों ठीक नहीं हो सकते। हम केंद्रीय मंत्री से निवेदन करते हैं कि इसको स्पष्ट कीजिए।
राजधानी दिल्ली में मंगलवार को एक्यूआई के 396 पर रहने के साथ ही लगातार तीसरे दिन वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सुबह के समय गाजियाबाद में 349, ग्रेटर नोएडा में 359, गुड़गांव में 363 और नोएडा में 382 था। वायु प्रदूषण के बारे में जानकारी देने वाले ‘समीर ऐप’ के अनुसार, दिल्ली में अधिकतर निगरानी केन्द्रों में एक्यूआई ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया। द्वारका सेक्टर-8, पटपड़गंज, अलीपुर, शादीपुर, डीटीयू और पंजाबी बाग जैसे कुछ स्थानों पर एक्यूआई 400 के पार रहने के साथ ही, ‘गंभीर’ श्रेणी में रहा।