पीएम मोदी बोले- प्रति और पर्यावरण से आयुर्वेद का गहरा नाता
नई दिल्ली, एजेंसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ग्लोबल आयुर्वेद फेस्टिवल को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय संस्ति प्रति और पर्यावरण को जो सम्मान देती है उससे आयुर्वेद का गहरा नाता है। इसे पौधों से लेकर आपकी प्लेटों तक एक समग्र मानव विज्ञान के रूप में वर्णित किया जा सकता है। उन्घ्होंने कहा कि आयुर्वेद और चिकित्सा के पारंपरिक रूपों को बढ़ावा देने के लिए यह महोत्सव एक सराहनीय प्रयास है।
प्रधानमंत्री ने वीडियो कन्फ्रेंसिंग के जरिए ग्लोबल आयुर्वेद फेस्टिवल के चौथे संस्करण को संबोधित करते हुए कहा कि आयुर्वेद पूरे शरीर को सुरक्षित रखता है। आयुर्वेद भारत की संस्ति और प्रति से जुड़ा हुआ है। इस सम्घ्मेलन में कई विशेषज्ञ अपने विचारों और अनुभवों को साझा करने जा रहे हैं। इसमें प्रतिनिधित्व किए जाने वाले देशों की संख्या लगभग 25 है जो एक महान संकेत है। यह भागीदारी आयुर्वेद और चिकित्सा के पारंपरिक रूपों के प्रति बढ़ती रुचि को दिखाती है।
बता दें कि यह उत्सव 12 मार्च से 19 मार्च तक चलेगा। इसमें वर्चुअल माध्घ्यम के जरिए देश विदेश की जानी मानी चिकित्घ्सा हस्तियां शिरकत कर रही हैं। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन, फिक्की के अध्यक्ष उदय शंकर एवं पूर्व फिक्की अध्यक्ष ड़ संगीता रेड्डी भी शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गुजरात में साबरमती आश्रम से श्आजादी का अमृत महोत्सवश् अभियान की शुरुआत की। इस मौके पर उन्घ्होंने कहा कि भारत में नमक का मूल्य कभी उसकी कीमत से नहीं आंका गया। हमारे लिए नमक का मतलब ईमानदारी, विश्वास और वफादारी है। हम अभी भी कहते हैं कि हमने देश का नमक खाया है। ऐसा इसलिए नहीं कि नमक बहुत कीमती वस्तु है, बल्कि इसलिए क्योंकि नमक हमारे लिए मेहनत और समानता का प्रतीक है। स्वाधीनता आंदोलन के उस दौर में नमक आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन गया था।
आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत शुरू हुई दांडी यात्रा पांच अप्रैल को संपन्न होगी। आगामी 75 सप्ताह तक दिल्ली, मुंबई, राजकोट, पोरबंदर, चंपारण सहित देश के विभिन्न शहरों के ऐतिहासिक 75 स्थानों पर कार्यक्रम होंगे और ये 15 अगस्त, 2022 को संपन्न होंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के कार्यक्रम 15 अगस्त, 2023 तक चलेंगे। समारोह में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल औक सांसद सीआर पाटिल भी मौजूद थे।
देश आजादी के नायक सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती भी मनाएगा। नेताजी ने आजादी के लिए श्दिल्ली चलोश् का नारा दिया था और भारत की आजादी को दुनिया की स्वतंत्रता की चेतना के लिए आवश्यक बताया था। भारत के आजाद होने के बाद दुनिया के कई देशों में आजादी की जंग शुरू हुई थी।
मोदी ने कहा कि गुजरात के सुपूत श्यामजी ष्ण वर्मा ने ब्रिटेन में अंग्रेजों की नाक के नीचे विदेशी धरती पर आजादी की लौ जलाई थी, उनकी अस्थियां सात दशक तक भारत लाए जाने का इंतजार करती रहीं। वर्ष 2003 में मैं अपने कंधों पर रखकर उनकी अस्थियों को भारत लाया। बता दें कि कच्छ में गुजरात सरकार ने श्यामजी ष्ण मेमोरियल का भी निर्माण कराया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास के लिए भारत की आत्मनिर्भरता की भावना दुनिया की विकास की यात्रा को गति प्रदान करेगी। उन्होंने कहा, पांच स्तंभ- फ्रीडम स्ट्रगल (स्वाधीनता संघर्ष), आइडियाज एट 75 (75 वर्ष के विचार), अचीवमेंट एट 75 (75 वर्ष की उपलब्धियां), एक्शंस एट 75 (75 वर्ष के कार्य) और रिजाल्व्स एट 75 (75 वर्ष के संकल्प) आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा के स्त्रोत हैं।