पीएम मोदी ने नायडू को लिखी चिट्ठी, आचार्य विनोबा भावे से की तुलना
नई दिल्ली , एजेंसी। देश के नए उपराष्ट्रपति के रूप में जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को शपथ ले ली है, जिसके साथ ही एम वेंकैया नायडू का कार्यकाल समाप्त हो गया। इस मौके पर पीएम मोदी ने पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू की सराहना की है। पीएम मोदी ने अपने पत्र में विचारधारा के प्रति प्रतिबद्घता के लिए पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू की सराहना की है। तीन पन्नों के इस पत्र में उन्होंने वेंकैया नायडू की तुलना आचार्य विनोबा भावे से की है।
पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू को लिखे गए इस पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वेंकैया नायडू के साथ बिताए गए पलों, उनसे मिलने वाले अनुभवों और सीखों के साथ ही कई अन्य पहलुओं के बारे में चर्चा की है। उन्होंने पत्र में लिखा कि ष्आपकी ऊर्जा संक्रामक है। इसे आपकी बुद्घि और ज्ञान में देखा जा सकता है। आपके वन-लाइनर्स की सभी लोगों द्वारा प्रशंसा की जाती है। अभिव्यक्ति हमेशा से आपकी सबसे बड़ी ताकत रही है।ष्
पत्र में वेंकैया नायडू की जीवन यात्रा को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि नेल्लोर की छोटी गलियों से लेकर उपराष्ट्रपति पद तक, आपकी यात्रा एक उत्ष्ट और प्रेरक यात्रा रही है। जब भी कोई चुनौती आपके सामने आई तो उसने आपके काम को और भी साहस के साथ करने के आपके संकल्प को मजबूत किया।
पत्र में उन्होंने नायडू की सराहना करते हुए लिखा कि श्वाकपटुताश् आपकी सबसे बड़ी ताकतों में से एक है। आचार्य विनोबा भावे जी की लेखनी ने हमेशा उन्हें (मोदी) प्रभावित किया है। उन्हें कम और सटीक शब्दों में अपनी बात कहना आता था और मैं जब भी आपको सुनता हूं तो वहीं समझदारी नजर आती है।
राज्यसभा की अध्यक्षता का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि वेंकैया नायडू हमेशा संसदीय अनुशासन और परंपराओं के पक्षधर रहे हैं। उन्होंने पत्र में कहा कि जब भी अनुचित व्यवधान या संसद की गरिमा को किसी भी तरह से कम किया गया था तो उससे होने वाली आपकी व्यक्तिगत पीड़ा और परेशानी के बारे में मैं जानता हूं। पीएम ने कहा कि जब भी आप इसके बारे में बात करते थे, तो आपकी आवाज में गहरा दर्द होता था। जो हमारे देश और संसद की जीवंतता के बारे में आपकी चिंता व्यक्त करता था।