पीएम मोदी ने कहा, कोरोना वायरस ने दिखाया किसी एक स्रोत पर अधिक निर्भरता जोखिम भरा
नई दिल्ली, एजेंसी। पीएम नरेंद्र मोदी ने डेनमार्क की पीएम मेटे फ्रेडरिकसेन के एक द्विपक्षीय द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। यह शिखर सम्मेलन वीडियो कन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित किया गया था।
इशारों में चीन पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना वायरस ने हमें दिखाया है कि किसी एक स्रोत पर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की अधिक निर्भरता जोखिम से भरी हुई है। हम जापान और अस्ट्रेलिया के साथ आपूर्ति श्रृंखला के विविधीकरण और लचीलापन के लिए काम कर रहे हैं। अन्य समान विचारधारा वाले देश इस प्रयास में शामिल हो सकते हैं।
पिछले कई महीनों की घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमारे जैसे समान विचार वाले देशों के लिए यह कितना महत्वपूर्ण है, जो एक साथ काम करने के लिए नियम आधारित, पारदर्शी, मानवीय और लोकतांत्रिक मूल्य-प्रणाली साझा करते हैं। उन्घ्होंने कहा कि मैं आपको अपनी शादी की बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि जल्द ही कोरोना वायरस की स्थिति सुधरने के बाद हमें आपके और आपके परिवार का भारत में स्वागत करने का मौका मिलेगा। मुझे यकीन है कि आपकी बेटी को फिर से भारत आने के लिए उत्सुक होना चाहिए।
डेनमार्क की पीएम मेटे फ्रेडरिकसेन ने कहा कि मेरे परिवार को बधाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। मेरी बेटी एक बार फिर भारत आना पसंद करेगी और मेरे परिवार का भी यही कहना है। उन्घ्होंने कहा कि आज का शिखर सम्मेलन हमारे द्विपक्षीय संबंधों में एक मील का पत्थर है। हमें गर्व है कि जलवायु परिवर्तन की बात आते ही भारत डेनमार्क की तरफ देखता है।
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, द्विपक्षीय समिट से दोनों देशों के बीच परस्पर संबंध को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
भारत व डेनमार्क के बीच 400 साल पुराना ऐतिहासिक और करीब 70 साल पुराना राजनयिक संबंध है। करीब 5 हजार भारतीय पेशेवर डेनमार्क की (क्ंदपेी) दिग्गज कंपनियों में काम कर रहे हैं । साथ ही वहां दशकों से 20 भारतीय आइटी कंपनियां मौजूद हैं।
एमईए के अनुसार, दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध का ऐतिहासिक लिंक, लोकतांत्रिक परंपराओं में समानता और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति और स्थिरता की साझा इच्छा पर आधारित हैं। भारत-डेनमार्क के बीच वर्चुअल मीटिंग के दो अहम मुद्दे हैं- पहला दो देशों के बीच बौद्घिक संपदा सहयोग के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर और दूसरा अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होना।