पहाड़ी शैली में बनेगा कवि चन्द्रकुंवर का स्मारक

Spread the love

रुद्रप्रयाग : हिमवंत कवि चन्द्रकुंवर बत्र्वाल की यादों को संरक्षित रखने की दिशा में एक अहम कदम उठाया जा रहा है, जिससे काव्य और साहित्य क्षेत्र से जुड़े साहित्यकारों में खुशी है। प्रकृति के चितेरे कवि चन्द्रकुंवर की कर्मस्थली पंवालिया में 8 लाख की लागत से कवि का स्मारक बनेगा जो उनके यहां अंत तक रहने की यादें सदा याद दिलाता रहेगा। पुरातत्व विभाग पौड़ी द्वारा जनपद के भीरी स्थित पंवालिया में पहाड़ी शैली में कवि का स्मारक भवन तैयार किया जाएगा। विभाग की ओर से तैयार प्रस्ताव के सापेक्ष जिला योजना में 8 लाख की स्वीकृति प्राप्त हुई है। इस धनराशि से अभी स्मारक और प्रतिमा की स्थापना होगी। कार्यदायी संस्था इस दिशा में जल्द टेंडर की प्रक्रिया करते हुए निर्माण शुरू करने की कार्यवाही कर रही है। बता दें कि 20 अगस्त 1919 में जनपद के मालकोटी गांव में भोपाल सिंह के घर जन्मे चन्द्र कुंवर की प्राथमिक शिक्षा उडमाड़ा गांव में हुई। जबकि उन्होंने मिडिल की शिक्षा नागनाथ पोखरी व हाईस्कूल की शिक्षा पौड़ी के मेसमोर स्कूल से ली। इससे आगे की पढ़ाई उन्होंने देहरादून और प्रयाग विवि लखनऊ में की। क्षय रोग से पीड़ित चंद्रकुवर के स्वास्थ्य ने उनका साथ नहीं दिया। शिक्षण कार्य के दौरान ही उनके स्वास्थ्य में काफी गिरावट आई जिससे उन्हें बीच में ही पढ़ाई छोड़कर गांव लौटना पड़ा। अगस्त्यमुनि भीरी के पास मंदाकिनी नदी के पास पंवालिया में एक मकान पर रहने लगे। जबकि इसी स्थान से अपनी कविताओं को आगे बढ़ाते रहे। पंवालिया में रहकर कवि ने करीब 1200 से अधिक रचनाएं लिखी। कवि ने अपनी रचनाओं में पहाड़, हिमालय, नदियों का सुन्दर वर्णन किया है। अंत में 14 सितम्बर 1947 को 28 वर्ष की अल्पायु में यह कवि दुनियां से चल बसे। कवि की कर्मस्थली पंवालिया की सभी भूमि को उनके परिजनों ने वर्ष 1978 में कृषि विभाग को दे दी थी। बता दें कि कवि के पंवालिया में स्मारक बनाने के लिए पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने वर्ष 2017 में घोषणा की थी। पुरातत्व विभाग पौड़ी के संरक्षण सहायक अधिकारी अनिल नेगी ने बताया कि कवि चन्द्र कुंवर बत्र्वाल की कर्मस्थल पंवालिया में पहाड़ी शैली में स्मारक भवन के लिए 28 लाख का प्रस्ताव जिला योजना में भेजा गया था जिसमें अब तक 8 लाख की स्वीकृति मिली है। इसमें स्मारक एवं मूर्ति की स्थापना की जाएगी। अवशेष धनराशि स्वीकृत होने के बाद शीघ्र कवि का स्मारक भवन तैयार किया जाएगा। ताकि भविष्य आने वाली पीढ़ी कवि की रचनाओं से आत्मसात कर सके। (एजेंसी)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *