कवियों ने कविताओं से दर्शकों को गुदगुदाया
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : ग्रीष्मोत्सव के अवसर पर आयोजित हिंदी गढ़वाली कवि सम्मेलन में कवियों ने समसामयिक, जन समस्या, पलायन विषय पर कविता पाठ कर दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। कवियों ने लोगों को हंसाया-गुदगुदाया। कवियों ने अपनी उत्कृष्ट प्रस्तुतियों से समां बांधे रखा।
स्थानीय प्रेक्षाग्रह में कवि सम्मेलन में चमोली से आए गढ़वाली कवि मुरली दीवान ने मै खुद ही नि मालुम कि मै कन्मणी इंसान छौ.. के माध्यम से समाजिक बदलाव का सुंदर चित्रण किया। श्रीनगर से आए कवि देवेंद्र उनियाल की कविता ढुंगू ..को दर्शकों ने सराहा। जहां कवि गिरीश पंत मृणाल ने गढ़वाली हास्य व्यंग कविता में गौ आबाद कर्यान झंजियूंन.. प्रस्तुत की वहीं मनोज रावत अंजुल ने यखुली दु:ख साणी छै, में मा नी बताणी छै.., हिंदी कवयित्री डा. ऋतु सिंह ने कविता कवि के मरने पर कवि का स्मारक होती है..। गणेश खुकशाल गणी ने जु होणि खाणि यु पैसै छ त ये पैसा दगड़ी किलै नि बढ़णू सुख कख चलिगे.. व हैंसण ज्व हम खालि खीसा मा हैंसदा छा छैंछ क्वी बजार जख मि ल्हे सक्यूं हैंसण नगद य उधार..। विजय कपरवान ने भीष्म यहां लाचार खड़ा है राम तुम्हें आना होगा..। वीरेंद्र खांकरियाल ने हास्य व्यंग के माध्यम से कहा कि जब से वो भूकंप राहत कोष के सर्वे सर्वा बने हैं, लोगों के घर उजड़े और उनके बने हैं..। डा. आनंद भारद्वाज ने सरल चरित कीरत सरल, सरल देह और वेष, सरल ज्ञात, अज्ञात से सरल किया परिवेश.. प्रस्तुत किया इनके अलावा कैलाश पंवार, प्रमेन्द्र नेगी, अंजली दूदेजा और मयंक सुंदरियाल, रश्मि आदि कवियों ने भी काव्य पाठ किया। इस मौके पर विमल नेगी, सुरेंद्र रावत, हिमांशु चौहान, आशीष मोहन नेगी, योगंबर नेगी, अजय रावत आदि मौजूद थे। संचालन विजय कपरवान ने किया।