कोटद्वार-पौड़ी

पूर्व सैनिकों ने आवारा सांड़ों को चिन्हित करने की मांग को दिया धरना

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। पूर्व सैनिक सेवा परिषद से जुडे़ पूर्व सैनिकों ने आवारा सांड़ों को चिन्हित करने की मांग को लेकर मालवीय उद्यान में धरना दिया। पूर्व सैनिकों ने कहा कि कोटद्वार में आवारा पशु शहरी और ग्रामीण इलाकों में लोगों के लिए मुसीबत बन गए हैं। शहरी इलाकों में इन आवारा पशुओं के कारण तमाम हादसे हो रहे हैं। इसके साथ शहर के व्यस्त इलाकों में भी छुट्टा घूम रहे सांड़ों का आतंक है। तमाम लोग इनके हमलों का शिकार हो चुके हैं। कई लोगों की तो इन हमलों में मौत तक हो चुकी है जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इन हादसों के बावजूद जिम्मेदार अफसरों के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है। ग्रामीण इलाकों में आवारा पशु फसलों के लिए मुसीबत साबित हो रहे हैं। किसान पहले ही तमाम तरह की दिक्कतों से जूझ रहे हैं और अब यह पशु उनके लिए नई मुसीबत बन गए हैं।
बुधवार को मालवीय उद्यान में धरना देते हुए परिषद के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण बड़थ्वाल ने कहा कि क्षेत्र में आवारा सांड लोगों के लिए मुसीबत का सबब बने हुए हैं। राह चलते कब, कहां और कौन इनके कारण चोट खा जाए, नहीं कहा जा सकता। बुजुर्गों, बच्चों के लिए सबसे बड़ा खतरा आवारा सांड़ बन चुके हैं। किसान के लिए किसानों की गाढ़ी कमाई को यह चट कर रहे हैं। खेतों में खड़ी फसलों को मवेशियों के झुंड पहुंचकर नष्ट कर देते हैं। खेती-किसानी के लिए समस्या बने छुट्टा जानवरों पर अंकुश लगाने के बजाय जिम्मेदार बेपरवाह बने हुए हैं। सड़क हादसों और रोड जाम की वजह भी आवारा जानवर बन रहे हैं। लालबत्ती चौराहा के आसपास, बदरीनाथ मार्ग, देवी रोड, सिताबपुर रोड, मालगोदाम रोड, सिद्धबली पुल, गाड़ीघाट पुल, गूलर पुल, गाड़ीघाट में बीच सड़क पर बैठे आवारा जानवर इसकी पुष्टि कर रहे हैं। गाय, सांड़ और सुअर ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है, लेकिन जिम्मेदार इस समस्या से मुंह मोड़ लिए हैं। लगभग हर जगह छुट्टा जानवरों से लोग परेशान है। कोटद्वार में तो आवारा पशुओं की संख्या सैकड़ों में होगी। अब तक इनके हमले और लड़ाई में दर्जनों लोग घायल भी हो चुके हैं। इसके बावजूद इन पर अंकुश लगाने की सारी कोशिशें नाकाम रहीं। आवारा मवेशियों के चलते अधिकांश मार्ग रात में बाधित हो जाते है। आलम यह है की दिन ढलते ही मवेशियों के झुंड के झुंड सड़क पर आकर बैठ जाते हैं। तेजी से फर्राटा भरते हल्के व भारी वाहन कभी भी दुर्घटना का सबब बन सकते हैं। धरना देने वालों में कैप्टन सीपी डोबरियाल, अनूप बिष्ट, सुभाष कुकरेती, बलवान सिंह रावत, उमेद सिंह चौधरी, सुरेश रावत, सूरवीर सिंह खेतवाल, कैप्टन सीपी धूलिया आदि शामिल थे।

काशीरामपुर तल्ला में विकसित होगी गौशाला
शहर में घूम रहे खतरनाक सांड़ों और आवारा पशुओं के लिए नगर निगम काशीरामपुर तल्ला में गौशाला विकसित करेगा। करीब दो बीघा भूमि में विकसित होने वाली गौशाला के लिए शासन ने धनराशि भी जारी कर दी है।  निगम ने गौशाला के लिए करीब छ: माह पूर्व टेंडर भी जारी कर दिया है, लेकिन अभी तक टेंडर की प्रक्रिया फाइलों में ही सिमटी हुई है। वहीं अभी तक राजस्व विभाग से नगर निगम को जमीन हस्तांतरित नहीं हो पाई है। इस वजह से भी गौशाला का निर्माण नहीं हो पा रहा है। जमीन हस्तांतरित से संबंधित फाइल शासन में लटकी हुई है।

किसानों की फसल कर रहे बर्बाद
ग्रामीण क्षेत्र में छुट्टा जानवर किसानों के दुश्मन बने हैं तो शहर सीमा से सटे सैकड़ों गांवों में आवारा घूमने वाले दुधारू पशु। आवारा पशुओं के झुंड रातों रात हरी भरी फसल चौपट कर देते हैं। प्रशासन इसका कोई स्थायी समाधान नहीं निकाल सका है। शहर से सटे बालासौड़, शिवपुर, मानपुर, पदमपुर सहित अन्य दर्जनों गांवों में आवारा जानवर मुसीबत बने हुए है। किसान रात-रात भर जागकर फसल को बचाने में लगे हैं। गांवों से लेकर मुख्य मार्ग तक छुट्टा जानवरों और जानलेवा सांड़ों का आतंक है।
काश्तकार विजय ध्यानी ने बताया कि रात में एक साथ आवारा जानवरों का झुंड निकलता है। वह जिस तरफ से भी गुजरता है फसलों को बर्बाद कर देता है। हर सीजन में आवारा पशु बड़ी समस्या बन गए हैं। दुधारू पशुओं का दूध निकालने के बाद पशुपालक बछड़ों संग आवारा छोड़ देते हैं। शायद ही ऐसा कोई मोहल्ला हो जहां आवारा बछड़े और सांड़ न टहलते दिखाई पड़े।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!