कई राज्यों में फिर गहरा सकता है बिजली संकट, कई राज्यों को पावर एक्सचेंज से किया वंचित
नई दिल्ली, एजेंसी। देश के कम से कम दर्जन भर राज्यों को आने वाले दिनों में भारी बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है। वजह यह है कि इंडियन एनर्जी एक्सचेंज ने छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, बिहार, कर्नाटक, मणिपुर, मिजोर, जम्मू व कश्मीर, मध्य प्रदेश पर गुरूवार आधी रात से पावर एक्सचेंजों में बिजली का सौदा करने से मना कर दिया है। इसके पीऐ आइइइ ने कारण यह बताया है कि इन राज्यों ने बिजली संयंत्रों को समय पर बकाया का भुगतान नहीं किया है।
आइइएक्स का कहना है कि उसने सरकार के नये निर्देशों के मुताबकि कानून सम्मत कदम उठाया है हालांकि राज्यों के साथ मुद्दे को सुलझाने को लेकर बातचीत हो रही है। पहले भी एक-दो राज्यों की तरफ से देर से भुगतान किये जाने का संज्ञान लेते हुए आइइएक्स ने उन्हें पावर ड्रेटिंग करने से रोक लगाई है लेकिन पहली बार एख साथ दर्जन भर से ज्यादा राज्यों पर रोक लगाई गई है। राज्य दो तरह से बिजली प्राप्त करते हैं। एक तो उनकी बिजली संयंत्रों के साथ बिजली खरीदने का समझौता पीपीए होता है।
राज्यों की अधिकांश बिजली की मांग इससे ही पूरी की जाती है। लेकिन रोजाना की खपत और मांग में अंतर को देखते हुए ये राज्य पावर एक्सचेंज से बिजली खरीदते हैं। राज्यों की तरफ से बिजली संयंत्रों को समय पर बकाये का भुगतान करने का मुद्दा आज कल काफी सुर्खियों में हैं। हाल ही में पीएम मोदी ने इस मुद्दे को उठाया था। केंद्र सरकार के केंद्रीय बिजली नियमन, 2022 के तहत उक्त कदम उठाये हैं।
बताया जा रहा है कि कुछ राज्यों ने तो बिजली संयंत्रों को पिछले सात महीने से खरीदी गई बिजली का भुगतान नहीं किया है। आइइएक्स एक स्वायत्त कंपनी है जो इलेक्ट्रानिक आधार पर स्वचालित तरीके से बिजली उपलब्ध कराती है। यह देश के दोनो शेयर बाजार बीएसई व एनएसई में सूचीबद्घ भी है। गुरुवार को जो फैसला हुआ है उसकी वजह से शेयर बाजार में उसके शेयर भाव काफी नीचे आ गये हैं।
पावर एक्सचेंज में से दक्षिण के राज्य काफी ज्यादा बिजली खरीदते हैं। आंध्र प्रदेश, तमिनलाडु, तेलंगाना, कर्नाटक पावर एक्सचेंज से होने वाली बिजली की खरीद बिक्री का 50 फीसद हिस्सा रखते हैं। ऐसे में जब ये राज्य बिजली नहीं खरीदेंगे तो इसका असर आइइएक्स पर भी होगा। लेकिन इससे भी बड़ा खतरा यह है कि राज्यों को अतिरिक्त बिजली नहीं मिलने से वहां के आम जनता व उद्योग जगत को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।