प्रशासनिक मशीनरी वनाग्नि पर नियंत्रण करने के बजाय माकड्रिल तक सीमित
बागेश्वर। जिले में जंगल धधक रहे हैं और प्रशासनिक मशीनरी वनाग्नि पर नियंत्रण करने के बजाय माकड्रिल तक सीमित है। इससे सरकारी मशीनरी की कार्यप्रणाली का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। अब तक जिले में आग लगने की 160 घटनाएं हो चुकी हैं और 201 हेक्टेयर जंगल खाक हो चुका है। वन विभाग को कुल छह लाख का नुकसान हो चुका है। वनाग्नि की घटनाओं से निपटने के लिए जिलाधिकारी विनीत कुमार के निर्देशन में जिला प्रशासन, वन विभाग, तहसील प्रशासन, स्वास्थ विभाग, पुलिस महकमे आदि विभागों द्वारा माक ड्रिल किया गया। माक ड्रिल का आयोजन तहसील बागेश्वर के छतीना, कपकोट में जसौली, कांडा में लीसा डिपो क्षेत्र तथा गरुड़ में वज्यूला के पास एफसीआई गोदाम के पास किया गया था। वहीं, इसी दौरान जिले के धरमघर रेंज, बागेश्वर रेंज, गढ़खेत रेंज, कपकोट व बैजनाथ रेंज के कई जंगलों में आग लगी हुई थी। आग की 14 घटनाओं में 35 हेक्टेयर जंगल जलकर राख हुआ। वहां आग बुझाने वाला कोई नहीं था। कुछ जगहों पर जरूर वन विभाग के फायर वाचर आग बुझाने में लगे हुए थे। ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रशासन, वन विभाग आग बुझाने के प्रति कितना गंभीर है। जंगल की आग पर स्वतº संज्ञान लेकर हाईकोर्ट वन विभाग को फटकार भी चुकी है।
पूर्वाभ्यास है माक ड्रिल: आपदा के समय होने वाली घटनाओं से निपटने तथा घटनाओं पर त्वरित गति से रिस्पांस करने के उद्देश्य से इस प्रकार के माक ड्रिल किया जाता है। माक ड्रिल से राहत एवं बचाव कार्य का पूर्वाभ्यास होता है। दूसरी ओर रिस्पांस समय व उपलब्ध संसाधनों का भी परीक्षण अच्छी तरह होता है।
फायर सीजन शुरू होने से पहले माक ड्रिल होना चाहिए। अभी तो जंगल में आग लगी हुई है वहां इन कर्मचारियों को होना चाहिए। बजट खर्च फायर वाचर बढ़ाने पर किया जाना चाहिए। ताकि वनाग्नि पर नियंत्रण किया जा सके। -डा. रमेश बिष्ट, पर्यावरणविद्
आपदा के समय होने वाली घटनाओं से निपटने तथा त्वरित गति से रिस्पांस करने के उद्देश्य से माक ड्रिल किया गया। ताकि तत्काल आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जा सके। -विनीत कुमार, जिलाधिकारी, बागेश्वर