1900 करोड़ की कार्ययोजना में प्रतापनगर की उपेक्षा
नई टिहरी। पर्यटन विकास परिषद की टिहरी झील के समग्र विकास के लिए लगभग 1900 करोड़ की लागत से एडीबी की मदद से कार्यान्वित की जा रही कार्ययोजना में प्रतापनगर क्षेत्र के कुछ गांवों व स्थानों को छोड़ने पर प्रतापनगर के ब्लाक प्रमुख प्रदीप चंद रमोला ने ऐतराज जाहिर करते हुऐ इन्हें शामिल करने की मांग करते हुए डीएम और जिला पर्यटन विकास अधिकारी को पत्र लिखा है। टिहरी झील व आस-पास के क्षेत्रों को पर्यटन व रोजगार की दृष्टि से 1900 करोड़ की मदद से 6 कलस्टर में 38 योजनायें के माध्यम से विकसित किया जाना है। जिसमें कोटी कालोनी कलस्टर, तिवाड़ गांव कलस्टर, मदन नेगी कलस्टर, डोबरा-चांठी कलस्टर, झील कलस्टर व नई टिहरी कलस्टर के तहत कार्य योजनाएं क्रियान्वित होनी हैं। कार्ययोजना में टिहरी बांध से सबसे अधिक प्रभावित प्रतापनगर क्षेत्र को कलस्टर भी नहीं बनाया गया है। जिसके चलते प्रतापनगर के ब्लाक प्रमुख प्रदीप चंद रमोला ने अधिकारियों को लिखे पत्र में इस पर खेद जताते हुए प्रतापनगर के झील के नजदीक के गांवों को होम स्टे अन्य गतिविधियों से के रूप में सम्मिलित करने की मांग की है। यह गांव नकोट, सेम, चौंटी व रौलाकोट हैं। प्रतापनगर क्षेत्र से लगे बंजर क्षेत्र को फुलों की घाटी के रूप में विकसित करने की भी मांग की है। प्रतापनगर राजमहल के सामने बाटनिकल गार्डन बनाने की योजना को शामिल करने की भी मांग की है। डोबरा से संदणा व डोबरा से मोटना मोटर मार्ग को पर्यटन मार्ग के रूप में विकसित करने की मांग झील के निकटस्थ होने के कारण की है। प्रतापनगर से झील क्षेत्र का विहंगम व्यू दृशित होने के चलते प्रतापनगर में व्यू प्वाईंट के साथ ही पार्किंग निर्माण की मांग की है। पर्यटन की दृष्टि से टिहरी झील के निकटस्थ भामेश्वर मंदिर को भव्य रूप से डेवलप करने की मांग की है।