वनाग्नि सीजन में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए वन विभाग की तैयारियां शुरू
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : वनाग्नि सीजन में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए वन विभाग ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। विभाग ने जंगलों से पिरूल हटाने का काम भी शुरू कर दिया है। विभाग का दावा है कि अभी तक करीब साढ़े बारह हजार कुतंल पिरूल हटा दिया गया है।
करीब तीन दशक से बंद जंगलों की फायर लाइनों को साफ करने को लेकर प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है। फायर लाइनों की लंबे समय से सफाई नहीं होने के कारण वनाग्नि पर नियंत्रण पाने में दिक्कतें होती हैं। जब तक जंगलों में फायर लाइनें थी, तो एक सिरे की आग दूसरी तरफ नहीं जा पाती थी और आग स्वयं नियंत्रण हो जाती थी। लेकिन एक हजार मीटर से ऊपर के क्षेत्रों में हरे पेड़ों के कटान पर रोक के बाद से वन विभाग की फायर लाइनों की सफाई भी नहीं हो पाई। इन फायर लाइनों पर बड़ी संख्या में पेड़ उग आए। ऐसे में जंगलों में आग लगने के समय अब ये विकल्प भी नहीं रहा। गढ़वाल वन प्रभाग के डीएफओ स्वनिल अनिरुद्ध ने बताया कि विभाग ने अपने वर्क प्लान में 120 फायर लाइनों का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है। दिशा-निर्देश मिलने पर फायर लाइनों को एक बार फिर से साफ करने का काम शुरू कर लिया जाएगा। आकाश वर्मा वन संरक्षक गढ़वाल सर्किल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने वनाग्नि को देखते हुए एक हजार मीटर से ऊपर के इलाकों की फायर लाइनों को लेकर लगाए गए प्रतिबंध में छूट दी है। अब फायर लाइनों की सफाई को लेकर काम किया जा सकता है। अकेले गढ़वाल वन प्रभाग की 31 फायर लाइनों में पांच हजार से अधिक पेड़ उग गए है। विभाग ने वर्क प्लान में नई और पुरानी फायर लाइनों के प्रस्तावों को शामिल किया है।
जंगलों से पिरूल हटाने का काम शुरू
वन विभाग ने जंगलों से पिरूल हटाने का काम शुरू कर दिया है। वनाग्नि सीजन में जंगलों की आग को लेकर पिरूल सबसे अधिक चुनौती रहता है। गर्मियों में पिरूल काफी मात्रा में गिर जाता है। ऐसे में आग सिविल से होते हुए आरक्षित वनों तक भी चली जाती है। आग की चपेट में हर साल वन सम्पदा को नुकसान होता है। विभाग का दावा है कि अभी तक करीब साढ़े बारह हजार कुतंल पिरूल को डिवीजन की पूर्वी अमेली और धुमाकोट रेंज के जंगलों से हटा दिया गया है। इस काम में जुटी महिलाओं को करीब 38 लाख की आमदनी हुई है।