मणिपुर में आठ महीने से लागू राष्ट्रपति शासन जल्द होगा खत्म, बीजेपी विधायकों का दावा

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इंफाल ,दिल्ली में केंद्रीय नेताओं से मुलाकात के बाद इंफाल लौटे पांच भाजपा विधायकों ने मणिपुर में जल्द सरकार के गठन की उम्मीद जताई। मणिपुर में पिछले 8 महीनों से राष्ट्रपति शासन लागू है। मणिपुर के लगभग 26 भाजपा विधायक पिछले हफ्ते और इस हफ्ते की शुरुआत में दिल्ली गए थे ताकि पार्टी के केंद्रीय नेताओं से मिलकर राज्य में जल्द से जल्द एक लोकप्रिय सरकार बनाने का आग्रह कर सकें। इसमें से पांच भाजपा विधायक शनिवार को मणिपुर लौट आए, लेकिन ज्यादातर विधायक अभी भी दिल्ली में हैं।
विधायकों में पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, मणिपुर विधानसभा अध्यक्ष सत्यब्रत सिंह, पूर्व मंत्री थोंगम बिस्वजीत सिंह, सपम रंजन सिंह, हेइखम डिंगो, युमखाम खेमचंद, कोंथौजम गोविंदास और विधायक करम श्याम शामिल हैं। विधायकों ने दिल्ली में भाजपा के उत्तर-पूर्व प्रभारी और लोकसभा सांसद संबित पात्रा और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष के साथ बैठक की।
विधायक करम श्याम ने कहा कि संबित पात्रा और बीएल संतोष ने उन्हें निर्वाचित सरकार बहाल करने के प्रति सकारात्मक इरादे का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि हालिया चर्चाओं में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की स्पष्ट चिंता और प्रतिबद्धता झलकती है।
करम श्याम ने कहा कि पहले बातचीत में लोकप्रिय सरकार की बहाली का जिक्र कम ही होता था, लेकिन इस बार संबित पात्रा और बीएल संतोष ने इस मामले में स्पष्ट रुचि दिखाई है। हमें उम्मीद है कि जल्द ही सरकार बन जाएगी।
पूर्व मंत्री सपाम रंजन सिंह ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल का मुख्य उद्देश्य केंद्रीय नेताओं को मणिपुर की राजनीतिक और सुरक्षा स्थिति से अवगत कराना और एक निर्वाचित सरकार की शीघ्र बहाली के लिए दबाव बनाना था। हमने स्थिरता और जनता का विश्वास सुनिश्चित करने के लिए एक लोकप्रिय सरकार के गठन के महत्व पर प्रकाश डाला। चर्चा सकारात्मक रही और हमें जल्द ही एक अनुकूल परिणाम की उम्मीद है।
भाजपा विधायक थौनाओजम श्यामकुमार ने पहले कहा था कि मणिपुर की जनता एक लोकप्रिय सरकार चाहती है। श्यामकुमार ने कहा था कि अब राज्य में स्थिति बिल्कुल सामान्य है। अगर राज्य में एक लोकप्रिय सरकार बनती है, तो बेहतर होगा कि स्थिति से निपटा जाए और राज्य की जनता के सर्वांगीण लाभ के लिए विकास और कल्याणकारी कार्य किए जाएं। आपको बताते चलें, मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने से पहले राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व में भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार थी।

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