प्राथमिक शिक्षक संघ ने कोर्ट जाने की दी चेतावनी
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। उत्तराखण्ड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ जनपद पौडी गढ़वाल ने एलटी 30 प्रतिशत विभागीय पदोन्नति के कला विषय में नियमावली संशोधन के पश्चात छूटे अभ्यर्थियों से आवेदन न मांगे जाने पर कोर्ट जाने की चेतावनी दी है। संघ के पदाधिकारियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि उच्चाधिकारियों द्वारा अपने चहेतों को पदोन्नति में लाभ पहुंचाने के लिए नियम ताक पर रख दिये गये। इस घोर लापरवाही के कारण गढ़वाल मंडल के कई प्राथमिक शिक्षक कला विषय में पात्रताधारित होने के पश्चात भी पदोन्नति से वंचित रह गये हैं।
संघ के जिला मंत्री दीपक नेगी ने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को माध्यमिक विद्यालयों में एलटी स्नातक वेतनक्रम में पदोन्नति हेतु 30 प्रतिशत विभीगीय पदोन्नति के माध्यम से पदोन्नति के अवसर प्रदान किये जाते है। एलटी स्नातक वेतनक्रम के कला विषय में उत्तराखण्ड अधीनस्थ शिक्षा (प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी) सेवा नियमावली-2021 की अधिसूचना में 25 फरवरी 2021 को संशोधन कर कला विषय के लिए बीएड की अनिवार्यता समाप्त कर दी गयी थी, लेकिन मंडलीय अपर निदेशक (माध्यमिक शिक्षा) गढवाल मंडल, पौड़ी द्वारा कला विषय की शैक्षिक योग्यता में संशोधन के पश्चात भी छूटे अभ्यार्थियों से आवेदन न मांग कर पूर्व में आवेदित अभ्यार्थियों की पदोन्नति हेतु मार्च 2021 को काउंसिलिंग करवा दी गई। उक्त काउंसिलिंग में संशोधित विज्ञप्ति के बगैर ही ऐसे अभ्यार्थियों को भी सम्मिलित किया गया जो कि बीएड उपाधि धारक नहीं थे और इन अभ्यार्थियों द्वारा संशोधन से पूर्व ही आवेदन कर दिये गये थे, जबकि सेवा नियमावली-2021 में संशोधन के पश्चात पुन: संशोधित विज्ञप्ति प्रकाशित कर छूटे अभ्यर्थियों से भी आवेदन मांग कर काउंसिलिंग में प्रतिभाग करवाना चाहिए था। जिला मंत्री दीपक नेगी ने कहा कि निदेशक (माध्यमिक शिक्षा), देहरादून द्वारा मंण्डलीय अपर निदेशक (माध्यमिक शिक्षा), गढवाल मंडल, पौड़ी को कला विषय में पुन: आवेदन मांगे जाने के आदेश के पश्चात भी आवेदन नहीं मांगे गये। उन्होंने कहा कि यदि 30 प्रतिशत विभागीय पदोन्नति के कला विषय में आवेदन करने से वंचित प्राथमिक शिक्षकों को सम्मिलित नहीं किया जाता है तो संगठन उच्च न्यायालय की शरण में जाने को बाध्य होगा, जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों की होगी।