नुक्कड़ और टिकट से प्रियंका-अखिलेश ने भेदा बीजेपी का किला

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लखनऊ। विपक्षी गठबंधन के हाथों सत्तारूढ़ एनडीए को सबसे बड़ी चोट उत्तर प्रदेश में लगती नजर आ रही है। राज्य में बीते लोकसभा चुनाव में 62 सीटें जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी इस बार 35 सीटों पर अटकी हुई है। वहीं, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की जोड़ी 40 सीटों के आंकड़े को पार कर गई है। हालांकि, टिकट वितरण, प्रचार के तरीके जैसी कई वजहें सामने आ रही हैं।
सपा का टिकट वितरण
विपक्षी गठबंधन के अच्छे प्रदर्शन की एक वजह सपा का टिकट वितरण को भी माना जा रहा है। बीते लोकसभा चुनाव से विपरीत सपा ने इस बार सिर्फ 5 यादवों को टिकट दिया था। इसके अलावा पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने 27 गैर यादव ओबीसी, 11 सवर्ण, 1 खत्री और 4 मुसलमानों को टिकट दिए थे। पार्टी ने एससी आरक्षित सीटों पर 15 दलित उम्मीदवार भी उतारे थे।
समाचार एजेंसी आरएनएस से बातचीत में सपा के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं, ‘हमारी पार्टी को यादवों और मुसलमानों से समर्थन का भरोसा था, लेकिन हम इन दो समुदायों के बाहर अपना विस्तार करना चाहते थे और गैर यादवों और दलितों तक पहुंच बढ़ाना चाहते थे, जो अब होता नजर आ हा है।’ साथ ही सपा ने कई सीटों पर उम्मीदवार भी बदल दिए थे।
भाजपा का टिकट वितरण
75 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली भाजपा ने 34 सवर्ण, 25 ओबीसी और एक यादव को टिकट दिया था। अन्य 16 सीटें एससी आरक्षित थीं।
प्रचार का तरीका
कहा जा रहा है कि राज्य में भाजपा और विपक्ष के प्रचार में भी काफी अंतर था। एक ओर जहां भाजपा बड़ी रैलियां और चुनाव अभियान चला रही थी। वहीं, सपा और कांग्रेस स्थानीय समुदायों तक पहुंच बढ़ा रहे थे। खबर है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने रायबरेली और अमेठी में जमकर प्रचार किया, लेकिन इनमें बड़ी रैलियों के स्थान पर सुबह से शाम तक 20 से ज्यादा नुक्कड़ सभाएं होती थीं।
भाजपा के गढ़ में सपा ने लगा दी सेंध
सपा ने पश्चिम, मध्य और पूर्वी यूपी में सीटें जीतने में सफलता हासिल की। इसके अलावा दल भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले बुंदेलखंड में जीत दर्ज करने में सफल रहा। पशअचिम यूपी में भी सपा कम से कम 8 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।

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