शोधार्थियों के लिए उपयोग होगी प्रो.मंमगाई की पुस्तक: मैठाणी

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जयन्त प्रतिनिधि।
श्रीनगर गढ़वाल। गढ़वाली भाषा साहित्य के संवद्र्धन लिए प्रयासरत आखर चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा प्रो. सुरेश ममगांई द्वारा लिखित पुस्तक गढ़वाल: इतिहास, संस्कृति, भाषा एवं साहित्य का विमोचन किया गया। इस मौके पर वक्ताओं ने पुस्तक को बहुउद्देशीय बताते हुए शोधार्थियों के लिए उपयोगी बताया। रविवार को आयोजित पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि गढ़वाल विवि की हिंदी विभाग की पूर्व अध्यक्ष प्रो. उमा मैठाणी ने कहा कि राजकीय महाविद्यालय उत्तरकाशी के प्रो. सुरेश ममगांई की पुस्तक गढ़वाल: इतिहास, संस्कृति, भाषा एवं साहित्य युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है। पुस्तक में गढ़वाल के इतिहास, संस्कृति, भाषा एवं साहित्य की विस्तार से जानकारी समाहित है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गढ़वाल विवि के राजनीति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एमएम सेमवाल ने पुस्तक के लेखक की सराहना करते हुए इसे बहुउपयोगी एवं प्रेरणादायी बताया। आखर के अध्यक्ष संदीप रावत ने पुस्तक की समीक्षा करते हुए कहा कि यह पुस्तक गढ़वाल एवं गढ़वाली भाषा साहित्य के विविध महत्वपूर्ण पक्षों को समझने में सहायक है। विशिष्ठ अतिथि गढ़वाल विवि की डा. कविता भट्ट शैलपुत्री ने लेखक के प्रयासों और मेहनत की सराहना करते हुए पुस्तक को गढ़वाली भाषा साहित्य व संस्कृति के संवद्र्धन के लिए सहयोगी बताया। पुस्तक के लेखक प्रो. ममगांई ने कहा कि मेरा प्रयास था कि गढ़वाल इतिहास, संस्कृति, भाषा एवं साहित्य की जानकारी लोगों और शोधार्थियों तक पहुंचे। इसलिए यह पुस्तक तैयार की गई है। मौके पर डा. उमेश ध्यानी, डा. नागेंद्र रावत, राधा मैंदोली, अनिल स्वामी, गंगा असनोड़ा, साईनीकृष्ण उनियाल, दीवान सिंह मेवाड़, रेखा चमोली, अंजलि घिल्डियाल, राकेश जिर्वान, श्वेता पंवार, डा. कमलेश मिश्रा, डा. किशोरी लाल, शिव सिंह नेगी, दिलवर रावत, आदि मौजूद रहे।

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