पूर्णागिरी के एलीफैंट करिडोर में पार्किंग के टेंडर पर हाईकोर्ट ने लगाई रोको
नैनीताल। हाई कोर्ट ने पूर्णागिरी धाम के पास बूम ब्रह्मदेव में एलीफैंट करिडोर में पार्किंग के टेंडर पर फिलहाल रोक लगा दी है। साथ ही राज्य सरकार, सचिव वन, सचिव वित्त, डीएम चम्पावत व एसडीएम पूर्णागिरि समेत अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर 23 मार्च तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। मामले में अगली सुनवाई 24 मार्च को होगी।
खटीमा निवासी अमित खोलिया समेत अन्य ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कहा है कि तीन फरवरी को एलीफैंट करिडोर की जमीन पर पार्किंग की टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई है, जिसमें 29 मार्च से एक साल के लिए टेंडर किया जाना है। याचिका में कहा गया है कि पूर्व में हाई कोर्ट में सरकार खुद कह चुकी है कि इस वनभूमि में किसी भी तरह से पार्किंग नहीं की जाएगी। इसके पास राजस्व की जमीन है लेकिन जिला प्रशासन उस जमीन के बजायएलिदेंट करिडोर की जमीन पर ही पार्किंग का ठेका देने जा रहा है।
इस मामले में वन विभाग ने भी 21 फरवरी को आपत्ति दर्ज की है लेकिन टेंडर प्रक्रिया जारी है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने टेंडर प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगा दी है।
हैड़ाखान आश्रम भूमि मामले में डीएम से मांगी रिपोर्ट, पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को जारी किया नोटिस
नैनीताल । हाई कोर्ट ने कठघरिया हल्द्वानी में बाबा हैड़ाखान आश्रम व केदारनाथ मंदिर के नाम करीब डेढ़ सौ साल पूर्व दी गई गवर्मेंट ग्रांट भूमि को कुछ व्यक्तियों द्वारा खुर्द-बुर्द करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने मामले में जिलाधिकारी नैनीताल व जिला विकास प्राधिकरण को मौका मुआयना करने के निर्देश दिए हैं। कहा है कि यदि आश्रम को दी गई भूमि में अवैध निर्माण हो रहा है तो उसे सीलकर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। इस मामले में पुरातत्व सर्वे अफ इंडिया को भी नोटिस जारी किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राघवेंद्र सिंह चौहान व न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ में कठघरिया निवासी शिवशंकर सुयाल व अन्य की जनहित याचिका दायर पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि कठघरिया में बाबा हैड़ाखान आश्रम व केदारनाथ मंदिर के लिए सरकार ने 1872 में गवर्मेंट ग्रांट लैंड आवंटित की थी। तब से यह भूमि बाबा विराजमान के नाम दर्ज है, जिसमें आश्रम के अलावा खेती के लिए भी भूमि है। लेकिन मंदिर कमेटी बनाकर बिना शासन की संस्तुति के आश्रम के आसपास दिनेश सुयाल के नाम दुकानों का नक्शा पास कराकर दुकानें बनाई जा रही हैं।