देहरादून। विपक्षी दलों और जनसंगठनों की ओर से मंगलवार को जिलाधिकारी सोनिका के माध्यम से सीएम को ज्ञापन सौंपा गया। इस दौरान पदाधिकारियों ने सर्विस सेक्टर पलिसी को सवाल उठाते हुए इसे रद्द करने की मांग उठाई। सरकार पर राज्य की जमीन और जनता का पैसा कर्पोरेट घरानों देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि देहरादून, अल्मोड़ा, हरिद्वार, उधम सिंह नगर, पिथौरागढ़, रामनगर और अन्य शहरों में सरकार की सर्विस सेक्टर पलिसी जन विरोधी है। विपक्षी दलों में कांग्रेस पार्टी, सीपीआईएम, समाजवादी पार्टी और जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि 12 सितंबर को राज्य मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड सर्विस सेक्टर पलिसी को मंजूरी दी। जिसके तहत सरकारी जमीन 99 साल की लीज पर सस्ते रेट पर पूंजीपतियों को दी जाएगी। अगर कोई कंपनी जमीन नहीं लेती है तो उस सूरत में उनको परियोजना के खर्चों पर 20 से 40 प्रतिशत तक सरकारी सब्सिडी दी जाएगी। उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार ने सख्त भू कानून लाने का आश्वासन दिया था, लेकिन इस नई पलिसी में साफ कहा जा रहा है कि राज्य की जमीन बाहर के पूंजीपतियों को दी जाएगी। उन्होंने कहा कि अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत सैकड़ों परिवारों को अपनी दुकानों और घरों से बेदखल किया जा चुका है। लेकिन अब दोहरा मापदंड अपनाते हुए सरकार खुद सरकारी जमीन निजी कंपनियों को देने की तैयारी कर रही है। इसके अलावा कहा कि सरकार अपनी आर्थिक स्थिति को इतना कमजोर दिखा रही है कि अधिकांश सरकारी विभागों में सालों से भर्ती नहीं हुई है। मनरेगा के अंतर्गत अधिकांश लोगों को आज तक 40 दिन से कम ही काम मिल रहा है। ऐसे में उन्होंने सवाल उठाया कि अगर वाकई स्थिति ऐसी है तो सरकार निजी कंपनियों को अरबों की सब्सिडी देने में सक्षम कैसे है। ज्ञापन के माध्यम से सभी ने सर्विस सेक्टर पलिसी को करने की मांग की। इस दौरान कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से समर भंडारी, राज्य अध्यक्ष आल इंडिया किसान सभा सुरेंद्र सिंह सजवाण, उत्तराखंड महिला मंच से कमला पंत, चेतना आंदोलन से शंकर गोपाल, विनोद बडोनी, राजेंद्र शाह, मुकेश उनियाल, सर्वोदय मंडल उत्तराखंड से एडवोकेट हरबीर सिंह कुश्वाहा, पूर्व महानगर अध्यक्ष समाजवादी पार्टी मोहम्मद मंसूरी आदि मौजूद थे।