नई टिहरी। राधाखंडी गायन शैली की सुप्रसिद्ध गायिका व गढ़वाल यूनिवर्सिटी श्रीनगर की विजिटिंग प्रोफेसर रही स्व. बचन देई की 12वीं पुण्य तिथि पर घनसाली में उन्हें याद किया गया। विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगों ने स्व. बचन देई के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी। मंगलवार को राधाखंडी शैली की गायिका स्व. बचन देई की पुण्यतिथि पर घनसाली में श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर उनके छोटे भाई सोहन लाल परोपकारी ने उनके गाये गीतों को गाकर उनकी स्मृति ताजा की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. नरेंद्र डंगवाल ने स्व. बचन देई को याद करते हुए कहा कि, राधाखंडी गायन शैली की वह एक महान गायिका थी, जिन्होंने देश-प्रदेश के कई मंचो पर जाकर अपनी कला का प्रदर्शन किया। कहा कि, उनके संगीत व गायन के लोग इतने कायल थे, कि गढ़वाल यूनिवर्सिटी श्रीनगर ने उन्हें संगीत विभाग में विजिटिंग प्रोफेसर के तौर आमंत्रित कर उनके अनुभवों का लाभ संगीत व कला के छात्रों ने उठाया। कार्यक्रम में सोहनलाल परोपकारी तथा स्व. बचनदेई के नाती आयुष ने स्व. बचन देई की स्वरचित लाल चुनड़ी तेरा सिर सोली, कालिका महामाई, शिव शंकर बोला कैलाश वासी तथा चैतवाली गीतों की प्रस्तुति देकर उनकी यादों को ताजा किया। कार्यक्रम में उनके पुत्र डॉ. प्रकाश चंद्र ने उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर पर भी चिंतन-मनन करते हुए आये हुए सभी अतिथियों का स्वागत कर आने के लिए आभार जताया। मौके सत्यप्रकाश, आनन्द नेगी, राजेन्द्र प्रसाद पेटवाल, आनन्द चौहान, रुकमणी देवी, गंगा देवी, नैन्सी देवी, विकास चंद्र, प्रभात, आयुष आदि मौजूद रहे।