रघुनाथ कीर्ति परिसर संस्ति का संवाहक केंद्र बनेगा
नई टिहरी। केन्द्रीय संस्त विवि का श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर प्रदेश के इतिहास और संस्ति का संवाहक केंद्र बनेगा। परिसर के भवनों और दीवारों पर प्रदेश के महान साहित्यकारों, ऐतिहासिक व्यक्तित्वों, पुष्पों, देवी-देवताओं और सांस्तिक धरोहर, गंगा के इतिहास को अंकित किया जाऐगा। इससे संबधित प्रस्ताव नई दिल्ली मुख्यालय को प्रस्ताव भेज गया है। देवप्रयाग में सवा सौ करोड़ की लागत से बन रहे संस्त परिसर में आठ छात्रावास बने हैं, परिसर के भवनों का नामकरण को लेकर परिसर निदेशक प्रो़ वीवीबी सुब्रह्मण्यम ने बताया कि जनसंपर्क अधिकारी व हिन्दी प्राध्यापक ड़ वीरेन्द्र सिंह बर्त्वाल की अगुवाई में गठित समिति ने बालिका छात्रावासों का नाम चिपको आंदोलन की सूत्रधार गौरा देवी, वीर तीलू रौतेली, नंदा देवी और अदम्य साहसी रानी कर्णावती के नाम पर सुझाये गये हैं। बालक छात्रावास व अन्य भवनों पर प्रसिद्घ छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत, चंद्रकुंवर बर्त्वाल, गढ़वाली-हिंदी रचनाकार अबोधबंधु बहुगुणा, कन्हैयालाल डंडरियाल, ड. गोविंद चातक, उत्तराखंड का राज्य पुष्प ब्रह्मकमल, बुरांस, फ्योंली और काफल के नाम प्रस्तावित किये गए हैं। बताया परिसर की रिटेनिंग वाल पर गंगा के अवतरण, उद्गम और समुद्र में विलय तक की यात्रा को रेखांकित की जाऐगी। इससे परिसर तीर्थयात्रियों के आकर्षण का केन्द्र बनेगा। उन्होंने कहा कि देवप्रयाग से ही भागीरथी और अलकनंदा नदी मिलकर संगम से विश्व प्रसिद्घ गंगा नाम धारण करती है। परिसर के संगीत में पहाड़ के ढोल-दमाऊं आदि वाद्ययंत्रों को भी शामिल किया जा रहा है। पहाड़ की विलुप्त हो रही कला से निर्मित वस्तुओं के संरक्षण हेतु संग्रहालय बनेगा। वर्तमान समय में छात्रावास की रसोई में मंडुआ और जौ का इस्तेमाल हो रहा है, कुछ दिन बाद झंगोरा और पहाड़ी दालों को भोजन में शामिल करने की योजना है। परिसर निदेशक ने बताया कि परिसर में स्वामी करपात्री महाराज के नाम से वेद शास्त्र, अनुसंधान केंद्र और अंतरराष्ट्रीय योग केंद्र खोला जा रहा है। परिसर की वेधशाला के लिए 20 इंच का टेलीस्कोप भी मंगवाया गया है। वाल राइटिंग के लिये उत्तराखंड पर्यटन विभाग के साथ वार्ता की जायेगी।