Uncategorized

रक्षाबंधन के दिन देवीधुरा में सांकेतिक बगवाल खेली गई

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

देहरादून। कोरोना संक्रमण के बीच रक्षाबंधन के दिन देवीधुरा में सांकेतिक बगवाल खेली गई। यह बगवाल केवल पांच मिनट के लिए खेली गई। इस सांकेतिक बगवाल में केवल 45 लोगों को ही मंदिर परिसर में प्रवेश की अनुमति दी गई। कोरोना की बगवाल की रस्म निभाने के लिए भी सिर्फ 45 लोगों को मंदिर परिसर में प्रवेश की अनुमति मिली। चारों खाम के मुखियाओं ने मां दिगंबरा शक्ति के पूजन के लिए कोट भैसर्क के गुरु के आदेश पर भूपाल सिंह बिष्ट से मां बाराही की पूजा के लिए गोदान कराया। वैष्णवी शक्ति गुफा में विराजमान मां बाराही और दिगंबरा शक्ति का पूजा-अर्चना की गई। मचवाल शिखर में जाकर पंचनाम देवों की आराधना भी की गई। चारों खाम, सातों थोक के प्रतिनिधियों को प्रधान पुजारी धर्मानंद पुजारी ने आशीर्वाद दिया। साथ ही श्रावण शुक्ल पूर्णिमा (रक्षाबंधन) को अपने-अपने घरों में मां बाराही का पूजन करने के निर्देश दिए। इसी बीच चैसठ योगिनियों की विशेष पूजा की गई। पूजन में सभी खामों के मुखिया मौजूद रहे। कोरोना महामारी के चलते फल-फूलों से खेली जाने वाली बगवाल इस बार नहीं हुई। बस फर्रे के साथ मंदिर की परिक्रमा की गई। बगवाल में चार खाम (गहरवाल, वालिग, लमगड़िया व चम्याल) और सात थोक के योद्धा हिस्सा लेते हैं। ये चारों खाम के प्रतिनिधि पूर्णिमा के दिन पूजा-अर्चना कर एक दूसरे को बगवाल का न्योता देते हैं। माना जाता है कि पूर्व में यहां नरबलि दिए जाने का रिवाज था, लेकिन जब चम्याल खाम की एक वृद्धा के एकमात्र पौत्र की बलि के लिए बारी आई तो वंश नाश के डर से उसने मां बाराही की तपस्या की। देवी मां के प्रसन्न होने पर वृद्धा की सलाह पर चारों खामों के मुखियाओं ने बगवाल की परंपरा शुरू की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!