अपने भीतर एक विराट व्यक्तित्व को जीओ: रामदेव
हरिद्वार। पतंजलि योगपीठ के संस्थापक योगगुरु रामदेव ने कहा कि आप अपने शरीर, इन्द्रियों, मन, मस्तिष्क और अपनी सोच को ऐसा बनाओ कि अपने भीतर एक विराट व्यक्तित्व को जी सको। कहा कि अनुभव करो कि मैं महर्षि चरक, पाणिनी और धन्वंतरी का प्रतिनिधि हूं। उन्होंने कहा कि आपको उपचार के नाम पर अत्याचार करने वाला डॉक्टर नहीं बनना है। व्यापार करना हमारा ध्येय नहीं है, उपचार और उपकार करेंगे तो आपका उद्धार स्वतः ही हो जाएगा। आपको कर्म के अनुसार शीलवान बनना है, आपका आचार-विचार, वाणी और स्वभाव संयममय होना चाहिए। यह बातें उन्होंने नवप्रवेशित छात्र-छात्राओं को सम्बोधित कर कही। पतंजलि भारतीय आयुर्विज्ञान एवं शोध संस्थान (पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज) के सत्र 2024-25 के लिए चयनित भावी चिकित्सकों का शिक्षारम्भ और उपनयन संस्कार पतंजलि योगपीठ स्थित आयुर्वेद भवन के सभागार में सम्पन्न हुआ।