देहरादून। द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता शूटिंग कोच सुभाष राणा ने कहा कि राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी उत्तराखंड के लिए बड़ी उपलब्धि है। इससे प्रदेश 20 साल आगे बढ़ गया है। यहां विश्व स्तरीय खेल सुविधाओं का विकास हो रहा है। उत्तरांचल प्रेस क्लब में सोमवार को राणा का स्वागत किया गया। इस दौरान पत्रकार वार्ता में राणा ने कहा कि 38वें नेशनल गेम्स उत्तराखंड में खेल और खेल सुविधाओं के विकास में मील का पत्थर साबित होगा। अब दूसरे प्रदेशों में जाकर खेल रहे खिलाड़ी उत्तराखंड लौट रहे हैं। पहाड़ का पलायन दूसरे प्रदेशों की बजाय अब देहरादून, हल्द्वानी, रुद्रपुर तक सीमित रह गया है। राष्ट्रीय खेलों के लिए उत्तराखंड में कई प्रकार के निर्माण कार्य हो रहे हैं। सरकार को चाहिए कि वो भविष्य में संबंधित फैडरेशनों से सामंजस्य बनाकर आयोजन स्थलों का सही से रखरखाव करे, ताकि बाद में भी खिलाड़ियों को इनका पूरा लाभ मिल पाए। खिलाड़ियों के लिए समय-समय पर कैंप लगाए जाएं। वहीं, प्रदेश के पहाड़ी और अन्य जनपदों में भी स्टेडियम निर्माण किया जाए। राणा ने कहा कि उन्हें द्रोणाचार्य पुरस्कार मिलाना उनकी बड़ी उपलब्धि है। इसका श्रेय उन्होंने अपनी पूरी टीम और खिलाड़ियों को दिया। बता दें, सुभाष राणा 2020 में टोक्यो पैरालंपिक में शामिल हुई निशानेबाजी टीम को प्रशिक्षण दे चुके हैं। इस टीम ने पांच मेडल जीते थे। राणा परिवार में सुभाष राणा द्रोणाचार्य पुरस्कार हासिल करने वाले दूसरे प्रशिक्षक हैं। इससे पहले उनके बड़े भाई जसपाल राणा को यह पुरस्कार मिला था। पिता नारायण सिंह राणा की देखरेख में ही जसपाल राणा ने अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई और परिवार की इसी खेल परंपरा को सुभाष राणा आगे बढ़ा रहे हैं। मौके पर इंटरनेशनल खिलाड़ी अनुरोध पंवार, मयंक मारवाह मौजूद थे।