डिजिटल माध्यम से कर्ज देने की व्यवस्था के नियमों पर आरबीआइ की सख्ती, मध्यस्थ कंपनियों के कतरे पर
नई दिल्ली, एजेंसी। बैंकिंग सिस्टम में डिजिटल माध्यम के बढ़ते प्रचलन को देखते हुए आरबीआइ ने आम ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए भी कुछ जरूरी कदम उठाने का ऐलान किया है। बुधवार को आरबीआइ ने इस बारे में डिजिटल बैंकिंग पर गठित कार्यदल की कुछ सिफारिशों को लागू करने का फैसला किया है। इसमें एक अहम फैसला यह है कि बैंकों और ग्राहकों के बीच कर्ज दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले लेंडिंग सर्विस प्रोवाइडर (एलएसपी- ग्राहकों की जानकारी लेने, आवेदन लेने, कर्ज की राशि आवंटित करने, कर्ज वसूली करने वाली कंपनियां) की भूमिका सीमित कर दी गई है।
आरबीआइ ने साफ तौर पर कहा है कि कर्ज का वितरण और कर्ज की वसूली सीधे बैंक और ग्राहकों के बीच होनी चाहिए, किसी भी तीसरे पक्ष के खाते से नहीं। इसके साथ ही आरबीआइ ने यह भी कहा है कि अगर एलएसपी को ग्राहकों को कर्ज दिलाने के लिए कोई सेवा शुल्क देनी है तो उसका भुगतान बैंक करेगा। ग्राहक कोई भुगतान नहीं करेगा। अभी तक एलएसपी ग्राहकों से भी सेवा शुल्क वसूलते थे।
एक अन्य कदम यह उठाया गया है कि कर्ज वितरण से पहले उसके बारे में पूरा ब्यौरा ग्राहकों को लिखित में सौंपनी होगी। एक तरह से इसमें सेवा शर्तों का ब्यौरा होगा। इसकी एक खासियत यह होगी कि ग्राहकों को यह बताना होगा कि उनसे किस दर पर किस मद में सेवा शुल्क लिया जा रहा है। ब्याज की दर के बारे में भी इसमें उल्लेख होगा। आरबीआइ ने कार्य दल समिति की उस सिफारिश को भी स्वीकार कर लिया है जिसमें ग्राहकों से उनकी पूर्वअनुमित लिए उनके कर्ज की सीमा नहीं बढ़ाई जाएगी।
ग्राहकों को एक निर्धारित समयावधि के भीतर कर्ज की पूरी राशि बगैर किसी पेनाल्टी के अदा करने की टूट होगी। इसके लिए उन पर कोई भी अतिरिक्त शुल्क नहीं लगाया जाएगा। आरबीआइ ने यह भी तय कर दिया है कि उसकी तरफ से लाइसेंस प्राप्त वित्तीय संस्थानों के लिए काम करने वाले एलएसपी के पास ग्राहकों की शिकायतों को दूर करने की एक उचित व्यवस्था हो। इसमें एलएसपी के एजेंटों के खिलाफ सुनवाई करने और उन पर कदम उठाने की भी उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
इसमें कार्रवाई से अगर ग्राहक संतुष्घ्ट नहीं है तो उसे आरबीआइ में ओम्बुड्समैन स्कीम के तहत शिकायत करने की सुविधा दी जाएगी। आरबीआइ ने यह भी साफ किया है कि ग्राहकों से जो भी डाटा लिया जाएगा, उसका इस्तेमाल सिर्फ लेन देन के काम में ही किया जाएगा और इसके लिए भी ग्राहकों से पहले स्वीति ली जाएगी। खास किस्म के डाटा के इस्तेमाल के लिए ग्राहकों से साफ तौर पर पूछा जाएगा कि उसकी स्वीति है या नहीं। आरबीआइ के इन उपायों का असर मोबाइल एप के जरिए कर्ज बांटने वाली कंपनियों की गतिविधियों पर भी होगी।