रेड कार्पेट पर 172 कदमों में सध गए अमेरिका से ओमान तक, वसुधैव कुटुम्बकम् में बढ़ा भरोसा
नई दिल्ली, एजेंसी। जी20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन जब सभी मेहमान, प्रगति मैदान स्थित ‘भारत मंडपम’ में पहुंचे, तो वहां पर सभी के लिए ‘रेड कारपेट’ बिछाया गया था। आखिर में कोणार्क चक्र के सामने खड़े होकर पीएम मोदी ने विदेशी मेहमानों का स्वागत किया। हालांकि सामान्य तौर पर किसी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में इतना लंबा ‘रेड कारपेट’ देखने को नहीं मिलता। पीएम मोदी ने दुनिया की अर्थव्यवस्था में 75 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाले जी20 के देशों के शीर्ष नेतृत्व, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति से लेकर ओमान के उप प्रधानमंत्री तक शामिल हैं, सभी को साध लिया। ‘भारत मंडपम’ के सामने अपनी गाड़ी से उतरने के बाद इन मेहमानों को पीएम मोदी तक पहुंचने के लिए लगभग 172 कदम चलना पड़ा। इस पूरे रास्ते पर रेड कारपेट बिछा था। पीएम मोदी ने कहा, भारत ने जी20 सम्मेलन के जरिये पूरी दुनिया को एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के वसुधैव कुटुम्बकम् का वो मंत्र दिया है, जिसका विश्व की महाशक्तियां दिल खोलकर स्वागत कर रही हैं। भारत की अध्यक्षता में आयोजित ‘जी20’ सम्मेलन का जो आयोजन दुनिया देख रही है, उससे पूरे विश्व में भारत का रुतबा विश्व-गुरु के तौर पर बढ़ा है।
भारत मंडपम के निकट बनाए गए अंतरराष्ट्रीय मीडिया केंद्र में कई देशों के डेलिगेट का कहना था, ‘वन अर्थ, वन फैमिली और वन फ्यूचर’ एक सकारात्मक पहल है। चूंकि जी20 के सदस्य देश, वैश्विक अर्थव्यवस्था में 75 फीसदी की हिस्सेदारी रखते हैं, इस हिसाब से भारत का ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का विचार बहुत अहम है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक, कूटनीतिक एवं पर्यावरण के मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और उनके लिए सार्थक पहल करने की दिशा में जी20 का यह शिखर सम्मेलन, नतीजे तक पहुंचेगा। चीन भारत का सीमा विवाद और रूस यूक्रेन जैसे मसलों से बचते हुए विदेशी डेलिगेट का कहना था, हमें जी20 के विचार को लेकर आगे बढ़ना है। अब अफ्रीका यूनियन (एयू) भी जी20 का सदस्य बन गया है। ऐसे में इस संगठन का फैलाव और ज्यादा होगा।
डेलिगेट के मुताबिक, रूस यूक्रेन युद्ध ने दुनिया को दो समूहों में बांट दिया है। ऐसा संभव है कि इसका कुछ असर जी20 पर भी रहा हो। मुख्य आयोजन से पहले हुई जी20 की बैठकों में यह असर देखने को मिला है। कुछ देश ऐसे भी रहे हैं, जो रूस यूक्रेन युद्ध के चलते खुल कर नहीं बोले। इन दोनों देशों के संघर्ष में कई मुद्दों पर आम सहमति नहीं बन सकी। हालांकि शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मीडिया केंद्र में जी20 के शेरपा अमिताभ कांत ने कहा था, हमें उम्मीद है कि विभिन्न सदस्य राष्ट्रों के साथ चर्चा के बाद किसी सर्वमान्य निष्कर्ष पर पहुंचेंगे। जी20 देशों के शीर्ष नेतृत्व की सहमति से संयुक्त घोषणा पत्र जारी होने का रास्ता साफ हो गया है। जी20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए पीएम मोदी ने सभी देशों के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किए हैं, उनसे विश्च का शक्ति संतुलन प्रभावित नहीं हो रहा। ये ऐसे गोल हैं, जिनमें सभी का हित छिपा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘वन अर्थ, वन फैमिली और वन फ्यूचर’ एजेंडे के तहत सभी सदस्यों देशों के लिए रेड कारपेट बिछाया है। यह एक बड़ी बात है। सभी देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या उप प्रधानमंत्री, सभी एक रेड कारपेट पर और एक जैसी दूरी तय कर ‘कोणार्क चक्र’ तक पहुंचे हैं। पीएम मोदी ने सभी मेहमानों का एक जैसे तरीके से अभिवादन किया है। सभी सदस्य देशों के प्रमुखों ने रेड कारपेट पर लगभग 172 कदम चले हैं। पीएम मोदी के इस स्वागत भाव से उम्मीद है कि आने वाले समय में ‘सतत विकास लक्ष्यों’ (एसडीजी) में तेजी आएगी। दुनिया में भारत की छवि मजबूत होगी। पीएम के रेड कारपेट पर विश्व की महाशक्तियां अमेरिका, चीन, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन के राष्ट्रपति/प्रधानमंत्री चले हैं, तो वहीं दक्षिण अफ्रीका, तुर्किए, बांग्लादेश, मॉरीशस, अर्जेंटीना और कोमोरोस के प्रतिनिधियों को भी रेड कारपेट प्रदान किया गया है। भारत का मकसद है कि सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के माध्यम से विकासशील देश, ग्लोबल साउथ और अफ्रीकी राष्ट्र, विकास में साझेदार बनें।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा था, भारत की डेमोग्राफी, डेमोक्रेसी, डाइवर्सिटी और डेवलपमेंट के बारे में किसी और से सुनना एक बात है, उसे प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करना बिल्कुल अलग है। मुझे विश्वास है कि हमारे जी20 प्रतिनिधि इसे स्वयं महसूस करेंगे। खास बात ये है कि जी20 में विश्व की पांचों महाशक्तियां, अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस शामिल हैं। अगर कोई एक देश, सामान्य गोल से अलग हटता है, तो उसे रास्ते पर लाने के लिए दबाव डाला जा सकता है। भारत का प्रयास है कि इन देशों में जो तकनीक है, उसका आदान-प्रदान हो। इससे सभी देश विकास पर आगे बढ़ सकेंगे। आपस में निवेश बढ़ेगा। पहले अधिकांश देश, अमेरिका, रूस या चीन की तरफ देखते थे, अब उनके लिए भारत भी अहम राष्ट्र है। वे भारत की तरफ देखने लगे हैं। क्वैड्रिलैटरल सिक्योरिटी डॉयलॉग ‘क्वैड’ में भी जी20 के सदस्य देश, भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका शामिल हैं। ये संगठन भी चीन को लेकर, भारत की मदद के लिए आगे बढ़ सकते हैं।