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बेअसर हुआ अतिक्रमण हटाना, फुटपाथ पर फिर सजी दुकानें

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न्यायालय के आदेश के बाद नगर निगम ने खाली करवाए थे बरामदें
खाली बरामदों में फिर सज गई हैं दुकानें, पैदल चलना भी मुश्किल
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : न्यायालय के आदेश पर जब निगम ने अतिक्रमण की जद में आए अपने बरामदें खाली करवाया तो उम्मीद थी कि अब सड़क किनारे पैदल चलने के लिए फुटपाथ मिल जाएगा। लेकिन, अतिक्रण हटाने के बाद नगर निगम गहरी नींद में सो गया। नतीजा एक बार फिर व्यापारियों ने फुटपाथ पर कब्जा करना शुरू कर दिया है। नतीजा, आमजन फुटपाथ छोड़ सड़क पर आवागमन को मजबूर है।
नवंबर 2020 में उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर निर्णय सुनाते हुए नगर निगम व जिला प्रशासन को आठ सप्ताह में राष्ट्रीय राजमार्ग पर बरामदे/फुटपाथ खाली करने के निर्देश दिए। साथ ही नगर निगम को स्वयं की नजूल भूमि से अतिक्रमण हटाने के भी निर्देश दिए। न्यायालय के आदेश पर नगर निगम प्रशासन ने नोटिस जारी किए। जिसके बाद कुछ अतिक्रमणकारियों ने स्वयं ही अपने अतिक्रमण हटा दिए। कुछ व्यापारी अतिक्रमण हटाने के बजाए न्यायालय की शरण में गए। नतीजा, अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई थम गई। न्यायालय ने इन भवन स्वामियों की सुनवाई कर पूर्व में जारी निर्णय को यथावत रखा। नतीजा, मार्च 2022 में एक बार फिर नगर निगम प्रशासन ने 43 भवन स्वामियों के अतिक्रमण चिह्नित कर उन्हें नोटिस जारी कर दिए। भवन स्वामी उक्त निर्णय के खिलाफ पुन: न्यायालय गए। लेकिन, राहत नहीं मिली। जिसके बाद नगर निगम प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के आदेश जारी कर दिए। निगम की ओर से जारी नोटिसों के बाद कुछ व्यापारियों ने फुटपाथ पर हुए अतिक्रमण को हटा दिया। जबकि 26 अगस्त 2023 को नगर निगम ने स्वयं ही कई व्यापारियों के बरामदे तोड़ कब्जा हटाया। हालांकि, नगर निगम ने बरामदे खाली करने का अभियान झंडाचौक से मालवीय उद्यान के मध्य ही चलाया। जबकि नगर निगम से गिवई स्रोत पुल के मध्य कोई अतिक्रमण नहीं हटाया गया।

वर्तमान की स्थिति
नगर निगम की कार्रवाई के बाद उम्मीद थी कि राहगीरों के आवागमन को फुटपाथ खाली हो जाएंगे। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। नगर निगम के दबाव में व्यापारियों ने फुटपाथ तो खाली हो गए। लेकिन, निगम के निगाह फेरते ही व्यापारियों ने फुटपाथ पुन: कब्जा दिए। वर्तमान में झंडाचौक से मालवीय उद्यान तक व्यापारियों ने फुटपाथों पर पुन: कब्जे कर दिए हैं। नतीजा, राहगीर वाहनों के बीच से गुजरते हुए सड़क पर आवागमन को विवश हैं।

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