रुद्रप्रयाग। पहाड़ के गांवों में आज भी बुनियादी सुविधाएं न मिलने से पलायन जारी है। कई गांव ऐसे हैं जहा महज एक-दो परिवार ही रह रहे हैं जबकि विकट परिस्थितियों में अपना जीवन गुजार रहे हैं। बच्छणस्यूं के कई गांवों में इस तरह के गांवों की स्थिति देखी जा रही है। जनपद के कई गांव ऐसे हैं जहां वर्षों पूर्व गांव आवाद थे किंतु सड़क, बिजली और पानी जैसी जरूरतों के अभाव में यह गांव खाली हो रहे हैं। भले ही यहां गिने चुने परिवार कठिन परिस्थिति में जीवन गुजार रहे हैं। बीते दिन बच्छणस्यूं के कांडई का ल्वेगढ़ गांव भी इसी तरह पलायन की मार झेल रहा है यहां एक 90 वर्षीय बुर्जुग महिला की मौत के बाद अंतिम संस्कार को ले जाने के लिए भी लोग भी मिले। बेटा मानसिक विक्षिप्त होने के कारण गांव से दूर रहता है। आसपास के ग्रामीणों को महिला की मौत की सूचना दूसरे दिन मिली। ल्वेगढ़ गांव में भले ही पहले 15-16 परिवार थे किंतु आज तीन महिलाएं ही गांव में हैं। वहीं बच्छणस्यूं पट्टी के डुमांणी, कपलखील, ढामणी, पणधारा, बंगोली आदि कई गांव हैं जहां 1 से 4 परिवार ही रह रहे हैं। इन गांवों के लोग भी सड़क न मिलने से लगातार पलायन करने को मजबूर हैं। बच्छणस्यूं क्षेत्र की रहने वाली जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम कठैत का कहना है कि पलायन पर रोक लगाने के लिए ऐसे गांवों में सड़क, बिजली और पानी की जरूरत समय रहते पूरी की जानी चाहिए। मैं पूरा प्रयास करूंगी कि सरकार के साथ ही विधायक एवं उचित मंचों पर सड़क सुविधा दिलाने के लिए संघर्ष करूंगी ताकि ऐसे गांव जीवित रह सके। कई लोग अपने गांव लौटना चाहते हैं, किंतु सड़क सुविधा इसके लिए पहली जरूरत है। उन्होंने कहा कि ल्वेगढ़ जैसे और गांव न हो इसके लिए ग्रामीणों से मिलकर विशेष योजना बनाई जाएगी। वहीं प्रधान संजय पांडे ने बताया कि जिन गांवों में एक दो परिवार हैं वहां रास्तों की स्थिति खराब है, हमारा प्रयास होगा कि इन गांवों के रास्तों को ठीक कर आवाजाही लायक बनाया जा सके। साथ ही ऐसे गांवों पर नजर रखी जा रही है जहां दो चार लोग ही रह रहे हैं।