आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का हिंदुओं को संदेश, हमें भाषा, जाति और क्षेत्रीय को छोडक़र एकजुट होना होगा
नई दिल्ली , राजस्थान में ‘स्वयंसेवक एकत्रीकरण ‘ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है। हिंदू समाज को भाषा, जाति और क्षेत्रीय विवादों को खत्म करके अपनी सुरक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा, हिंदू हर किसी को अपना मानते हैं और सभी को गले लगाते हैं।
आरएसएस प्रमुख ने 3 हजार 827 स्वयंसेवकों को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी रमेश अग्रवाल, जगदीश सिंह राणा, रमेश चंद मेहता और वैद्य राधेश्याम गर्ग सहित कई लोग शामिल हुए। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदुओं की एकजुटता की बात की। उन्होंने कहा, हिंदू समाज को भाषा, जाति और क्षेत्रीय असमानताओं को खत्म करके अपनी सुरक्षा के लिए एकजुट होना होगा। आरएसएस प्रमुख ने बताया कि समाज को कैसा होना चाहिए। उन्होंने कहा, ऐसे समाज का निर्माण होना चाहिए जहां संगठन, सद्भावना और श्रद्धा हो। लोगों में अनुशासन हो, साथ ही देश के प्रति अपने दायित्व को समझे और उद्देश्यों के प्रति समर्पित हो।
मोहन भागवत ने कहा, एक समाज केवल व्यक्तियों और उनके परिवारों से नहीं बनता है, बल्कि उन व्यापक चिंताओं पर विचार करने से बनता है। आरएसएस का काम करने का तरीका विचार आधारित है। मोहन भागत ने स्वयंसेवकों से समुदायों के अंदर संपर्क बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, समाज को सशक्त बनाकर समुदाय की कमियों को दूर करने की कोशिश की जानी चाहिए। मोहन भागवत ने कहा हमारा ध्यान न्याय, स्वास्थ्य, शिक्षा, और आत्मनिर्भरता पर होना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा, स्वयंसेवकों को हमेशा सक्रिय रहना चाहिए और परिवारों में सद्भाव, पर्यावरण जागरूकता, स्वदेशी मूल्यों और नागरिकों की चेतना को बढ़ावा देना चाहिए, जो एक समाज के लिए बुनियादी चीजे हैं। आरएसएस प्रमुख ने भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा पर बात करते हुए कहा, भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा उसकी ताकत पर निर्भर है। साथ ही भारत के विदेश में रह रहे नागरिकों की सुरक्षा तभी सुनिश्चित होती है जब उनका राष्ट्र मजबूत होता है।
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