रुद्रपुर के बैंकों से पहुंच रही नकली नोटों की खेप आरबीआई में मचा हड़कंप
देहरादून। कानपुर के आरबीआई में रुद्रपुर के बैंकों से पहुंच रही नकली नोटों की चेस्ट (खेप) के बाद हड़कंप मच गया है। लगातार मिल रही नकली करेंसी को गंभीरता से लेते हुए कानपुर के शाखा प्रबंधक ने रुद्रपुर कोतवाली को तहरीर देकर केस दर्ज कराया है। पुलिस ने संबंधित बैंक की शाखाओं को प्राथमिक रिपोर्ट देकर जांच शुरू कर दी है। जानकारी के अनुसार दावा अनुभाग निर्गम विभाग गोल मोहर भारतीय रिजर्व बैंक महात्मा गांधी पार्क कानपुर के प्रबंधक सरोज कुमार प्रसाद ने कोतवाली पुलिस को तहरीर भेजी है। उन्होंने कहा 5 अप्रैल 2021 से भारतीय रिजर्व बैक में अन्य बैंकों की करेंसी चेस्ट शाखाओं से प्राप्त प्रेषण में जाली नोट जांच के दौरान पकड़े जा रहे हैं। जिनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
बैंक की शाखाओं से आ रहे नकली नोट जाली नोट का मुद्रण एवं परिचालन आईपीसी के तहत अपराध की श्रेणी में आते हैं। प्रबंधक ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस से कार्रवाई की मांग की है। इधर, पुलिस ने नकली करेंसी मामले में केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। साथ ही पुलिस ने स्थानीय स्तर पर एक विवेचनाधिकारी नियुक्त कर संबंधित बैंक की शाखाओं को प्राथमिक रिपोर्ट भेज दी है। सीओ अमित कुमार ने कहा एसबीआई से जुड़ी शाखाएं जिले के कई स्थानों पर है। इसके लिए संबंधित थानों को प्राथमिकी रिपोर्ट को भेज दी है। शाखाओं के रिकॉर्ड की जांच के बाद ही आगे की कार्रवाई की जायेगी।
जिले में एसबीआई की हैं पांच शाखाएं: शहर के एसबीआई की मुख्य शाखा के अंदर जिले की पांच बैंक शाखाएं आती हैं। इससे पहले नौ शाखाएं जुड़ी थी, लेकिन वर्तमान में पांच बैंक जुड़े हैं। जिसमें से दो शाखाएं रुद्रपुर में हैं और बाकी की तीन काशीपुर, सितारगंज में स्थापित हैं। इन सभी शाखाओं में जमा रोकड़ा मुख्य बैंक से होकर ही आरबीआई को जाता है। जिसके बाद आरबीआई रोकड़ चेस्ट को जांचता परखता है। उसी जांच में चेस्ट की गड्डियों में लगातार नकली नोट आने का मामला सामने आया है।
चार से पांच माह में जाती है करोड़ों की चेस्ट: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया रुद्रपुर के मुद्रा तिजोरी से चार से पांच माह में एक बार वापस होने वाली रोकड़ को एकत्र किया जाता है और उसे कानपुर दावा अनुभाग निर्गम विभाग को भेजा जाता है। एक बैंक कर्मी ने कहा चार से पांच माह में सभी शाखाओं से एकत्र रोकड़ की जांच की जाती है। जिसमें प्रचालित नोट और अप्रचलित नोटों को अलग किया जाता है। जिसका मतलब यह है जो नोट फटे पुराने या फिर धुंधले हो जाते हैं। उन्हें चेस्ट कहा जाता है। इसके बाद करोड़ों रुपये की संख्या में नोटों को एक साथ आरबीआई भेजा जाता है। जिसको जांच परख के बाद ही आरबीआई जमा कर नये नोटों को जारी करती है। कहा रोकड़ को जमा करने से पहले उसको बारीकी से जांचा व परखा जाता है। कभी-कभी गिनती या फिर जांच मशीन द्वारा एक दो नोट पकड़ से बाहर हो जाते हैं।