साहित्याचंल ने दी दिवगंत विभूतियों को दी श्रद्धाजंलि
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। साहित्यांचल संस्था सहित्यांचल के तत्वाधान में आयोजित सूक्ष्म कार्यक्रम में दिवगंत महान विभूतियों को श्रद्धाजंलि दी गयी। हिन्दी के साधक एवं प्रथम डी. लिट डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल, अमर बलिदानी श्रीदेव सुमन, क्रान्तिकारी पत्रकार नरेन्द्र उनियाल व प्रसिद्ध साहित्याकार रमेश कुमार मिश्र ‘सिद्धेश’ का भाव पूर्ण स्मरण किया गया।
चार दिवंगत विभूतियों के पुण्य स्मरण में स्मृति दिवस कार्यक्रम सूक्ष्म रूप से मनाया गया। वक्ताओं ने टिहरी जनक्रांति के अग्रदूत श्रीदेव सुमन के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह जनहितों के लिए समर्पित थे। उन्होंने अपने अल्पकालिक जीवन में अनकेआयाम स्थापित किये। टिहरी को राजशाही से मुक्त कराने में जहां उनकी प्रमुख भूमिका थी, वहीं एक पत्रकार-साहित्यकार के रूप में वह राष्ट्रवाद के प्रबल पैरोपकार थे। उन्होंने अपने आदर्शों व सिद्धान्तों से कभी समझौता नहीं किया और मानवता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। डॉ. पिताम्बद दत्त बड़थ्वाल विशिष्ट प्रतिभा के धनी हिंदी के श्रेष्ठ साहित्यकार थे। द निर्गुण स्कूल ऑफ हिंदी पोयट्री विषय पर उन्होंने हिंदी साहित्य में प्रथम डी. लिट की उपाधि अर्जित की। उन्होंने अनके ग्रंथों का सृजन किया। वह एक अच्छे पत्रकार-लेखक भी थे। वक्ताओं ने कहा कि धधकता पहाड़ के संपादक के रूप में पत्रकार नरेन्द्र उनियाल ने जनपक्षीय पत्रकारिता को नई धार दी। वह एक संवेदनशील पत्रकार थे जो अंतिम समय तक सामाजिक उत्थान में जुटे रहे। उक राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने आपातकाल का प्रबल विरोध किया और जेल की यातना सही, वह सदैव पहाड़ के सरोकारों के लिए सक्रिय रहे। उन्होंने कहा कि साहित्यकार रमेश मिश्र प्रकृति के अदभुत चितेर व कला प्रेमी थे। साहित्यांचल की स्थापना में उनकी प्रखर भूमिका थी। नई पीढ़ी के रचनाशील अनेक लोगों को आगे बढ़ाने में भी वह सतत सचेष्ट रहे। इस अवसर पर साहित्यांचल के अध्यक्ष एसपी कुकरेती, चक्रधर शर्मा कमलेश, अनुसूया प्रसाद डंगवाल, प्रकाश चन्द्र कोठारी, डॉ. सीएम बड़थ्वाल, सीपी नैथानी, नागेन्द्र उनियाल आदि उपस्थित रहे। (फोटो संलग्न है)
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