संतों ने धर्म और प्रकृति की रक्षा का दिया संदेश

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ऋषिकेश। तीर्थनगरी के संत बुधवार को परमार्थ निकेतन आश्रम पहुंचे। यहां उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती के जन्मदिन पर धर्म और प्रकृति की रक्षा का संदेश दिया। बुधवार को ऋषिकेश संत समाज से जुड़े कई संत परमार्थ निकेतन पहुंचे। वहां उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती को उनके जन्मदिन पर बधाई दी। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि यह जीवन परमात्मा का उपहार है और सेवा ही सबसे बड़ी उपासना है और प्रकृति की रक्षा ही आज का सबसे बड़ा धर्म है। जगद्गुरू स्वामी कृष्णाचार्य ने कहा कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती हमारे ऋषिकेश के गौरव है और गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों के तटों पर आरती के माध्यम से अपनी गौरवान्वित उपस्थिति रखने वाले संत हैं। ऐसे उदार चरित्र वाले पूज्य संतों से भारत भूमि पवित्र है। सभी को एक सूत्र में बांधने के लिये ऐसे संतों की इस देश को जरूरत है। साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि स्वामी चिदानंद का जीवन एक ज्योति की तरह है जो स्वयं जलती और अनेकों के जीवन को प्रकाशित करती है। महामंडलेश्वर स्वामी दयारामदास ने कहा कि स्वामी चिदानंद सरस्वती ने न केवल ऋषिकेश, उत्तराखंड, भारत बल्कि पूरे विश्व में सनातन संस्कृति की ध्वजा को फहराया है। पंडित रवि प्रपन्नाचार्य ने कहा कि हमारा जीवन उपकार के लिये और धर्म की रक्षा के लिये होना चाहिए। राष्ट्रीय कवि संगम के अध्यक्ष जगदीश परमार्थी ने कहा कि स्वामी चिदानंद का जीवन, सेवा, साधना और समर्पण का ऐसा संगम है। जहां हर कोई अपने जीवन की दिशा और धारा बदल सकता है। इस दौरान सभी संतों को रुद्राक्ष का पौधा भेंट किया गया और धर्म और प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया गया।

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