उत्तराखंड

निर्मल अखाड़े के संतों ने की सुरक्षा उपलब्ध कराने की मांग

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हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने जान का खतरा जताते हुए सरकार से उन्हें और अखााड़े में रह रहे सभी संतों को सुरक्षा उपलब्ध कराने की मांग की है। पंजाब सहित देश के कई प्रांतों से आए निर्मल संप्रदाय के संतों की बैठक के दौरान श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने आरोप लगाया कि बृहष्पतिवार को जबरन अखाड़े में घुसे संतों का मकसद उन्हें, कोठारी महंत जसविन्दर सिंह और अन्य संतों को बंधक बनाना था। उन्होंने कहा कि संत वेशधारी कुछ असामाजिक तत्व लंबे समय से अखाड़े की संपत्ति को खुदर्बुद करने की नीयत से साजिश रच रहे हैं। संत समाज व पुलिस प्रशासन के सहयोग से कई बार उनकी साजिश को नाकाम भी किया गया है। इसके बावजूद असामाजिक तत्व अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। जिस प्रकार अखाड़े में घुसकर उन्होंने अशांति और भय फैलाया। उससे साफ है कि वे कभी भी किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं। श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि निर्मल संप्रदाय को देश दुनिया में सेवा भाव व धार्मिक, सांस्तिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। लेकिन संत वेशधारी असामाजिक तत्वों की हरकतों से निर्मल संप्रदाय व समस्त संत समाज की छवि धूमिल हो रही है। उन्होंने कल के घटनाक्रम पर अखाड़ा परिषद, संत समाज व पुलिस प्रशासन की भूमिका की सराहना करते हुए आभार व्यक्त किया और कहा कि सरकार और पुलिस प्रशासन को अखाड़े के संतों की सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए। कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि निर्मल अखाड़ा गुरूनानक देव और दशमेश गुरूओं की परंपरांओं को मानने वाला सनातनी अखाड़ा है। 1993 से श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज अखाड़े के अध्यक्ष हैं। 1993 में निर्मल भेख, सभी तेरह अखाड़ों, और संत समाज ने श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज को श्री पंचायती अखाडा निर्मल का अध्यक्ष नियुक्त किया था। कुछ ऐसे लोग जिनका अखाड़े से कोई संबंध नहीं है। एक झूठे प्रस्ताव के आधार पर प्रशासन और अधिकारियों को गुमराह करने का प्रयास करते रहते हैं। अखाड़े का अपना संविधान है। जिसके तहत सभी अधिकार अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज के पास हैं। उन्होंने कहा कि कल के घटनाक्रम को लेकर पूरे निर्मल भेख में रोष है। समस्त संत समाज इसकी निंदा कर रहा है। कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि जिस प्रकार कुछ असामाजिक तत्व अखाड़े में घुसे, वह बेहद चिंताजनक है। अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज वयोवृद्घ हैं। विभिन्न धार्मिक गतिवधियों में शामिल होने के लिए उन्हें कई बार बाहर भी जाना पड़ता है। इसको देखते हुए श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह सहित अखाड़े के सभी संतों को सुरक्षा उपलब्ध करायी जाए। अखाड़े की सुरक्षा भी मजबूत की जाए। जिससे इस प्रकार की घटना दोबारा ना हो। महंत प्यारा सिंह महाराज ने कहा कि अखाड़े में जबरन घुसने जैसी घटना की पुनरावृत्ति ना हो सके, इसके लिए पुलिस प्रशासन को कड़े कदम उठाते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। बैठक में महंत अमनदीप सिंह, महंत खेमसिंह, संत दर्शन सिंह शास्त्री, संत सहजदीप सिंह, महंत प्यारा सिंह, महंत हरदेव सिंह, स्वामी महादेव महाराज, महंत अचल सिंह, संत जरनैल सिंह, संत बलवीर सिंह, महंत निर्मल सिंह शास्त्री, महंत गुरूप्रीत सिंह, संत निक्कुदास उदासीन, महंत मोहन देव सिंह, संत गोपाल हरि सहित पंजाब, हरियाणा, यूपी, दिल्ली से आए कई संत महापुरूषों ने कल की घटना की निंदा करते हुए श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज व कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज को सुरक्षा उपलबध कराने की मांग की।

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