समलैंगिक विवाह: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मामलों की संख्या बहुत अधिक, संविधान पीठ के मामलों को सूचीबद्ध करना फिलहाल असंभव
नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के अनुरोध वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। सुनवाई के तीसरे दिन गुरुवार को शीर्ष अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मुकदमों की आवक इतनी अधिक है कि संविधान पीठ के मामलों को तब तक सूचीबद्ध करना असंभव है जब तक कि बहस करने के लिए समय निर्धारित न किया जाए। इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को समयबद्ध तरीके से खत्म करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा था कि अन्य मामले भी हैं जिन्हें सुनवाई का इंतजार हैं।
इस मामले की सुनवाई कर रही पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ का नेतृत्व कर रहे मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि उनके पहले के मुख्य न्यायाधीशों ने संविधान पीठ का गठन नहीं किया था क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में इतने अधिक मामले आते हैं, जिसे लेकर अदालत पर काफी दबाव होता है। उन्होंने कहा कि अगर संविधान पीठ को वास्तव में चलाना है, तो आप जानते हैं, पांच न्यायाधीशों के अपने नियमित काम छोड़कर इसमें लगना पड़ेगा। यही कारण है कि मेरे से पहले के मुख्य न्यायाधीशों ने संविधान पीठ का गठन नहीं किया क्योंकि आप नहीं जानते कि यहां किस तरह का दबाव होता है। हर शाम मैं पूछता हूं कि कितने मामले आए हैं और कितने मामलों का निपटारा किया गया है।
सीजेआई ने कहा कि पहले से लंबित पड़े मामलों में हम और जोड़ना नहीं चाहते। हमारी अदालत में यही असली समस्या है। मामलों की आमद इतनी ज्यादा है कि जबतक हम समय का निर्धारण शुरू नही करते, आप जानते हैं, संविधान पीठ के मामलों को सूचीबद्ध करना असंभव है। इस इस पीठ में सीजेआई चंद्रचूड़ के अलावा न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति एसआर भट, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा भी शामिल हैं।
समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर लगातार तीसरे दिन सुनवाई की शुरुआत में एक वकील ने पीठ को वकीलों की एक सूची सौंपी। जिसमें बताया गया कि ये वकील याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस करेंगे और साथ ही उन्हें कितना समय लगेगा। सीजेआई ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के पक्ष को दिन के अंत तक अपनी दलीलें पूरी करनी होंगी क्योंकि अदालत को दूसरे पक्ष को भी पर्याप्त समय देना है। उन्होंने कहा, ऐसे भी सुप्रीम कोर्ट हैं जहां 30 मिनट में पूरी बहस खत्म करनी होती है। हमने इस अदालत में याचिकाकर्ताओं के पक्ष को तीन दिन का समय दिया, मुझे लगता है कि यह काफी ज्यादा है।
न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि पीठ ने शुरुआत में ही संकेत दे दिया था कि वह किस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करेगी और मामले से कैसे निपटेगी। पीठ ने कहा कि अगले सप्ताह वह सोमवार, मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को बैठेंगे ताकि दोनों पक्षों की बहस खत्म हो सके। सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं में से एक ने कहा कि वे समय में कटौती करेंगे और याचिकाकर्ताओं का पक्ष सोमवार को अपनी दलीलें समाप्त करेगा।
न्यायमूर्ति कौल ने कहा, आप लोग यह भी जानते हैं कि इस मामले को प्राथमिकता के आधार पर लिया गया है। हम इसे समाप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। यदि आप इसे समाप्त नहीं करना चाहते हैं, तो आप इसे समाप्त नहीं करें।
शीर्ष अदालत ने मंगलवार को स्पष्ट किया था कि समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर फैसला करते समय वह शादियों से जुड़े ‘पर्सनल लॉ’ पर विचार नहीं करेगा। याचिकाओं पर सुनवाई और फैसले का देश पर महत्वपूर्ण प्रभाव होगा, क्योंकि आम लोग और राजनीतिक दल इस विषय पर अलग-अलग विचार रखते हैं।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 25 नवंबर को दो समलैंगिक जोड़ों द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा था। इन याचिकाओं में दोनों जोड़ों ने शादी के अपने अधिकार को लागू करने और संबंधित अधिकारियों को विशेष विवाह अधिनियम के तहत अपने विवाह को पंजीकृत करने का निर्देश देने की अपील की थी।