संघर्ष समिति ने फाड़ी संशोधित भू-कानून की प्रतियां

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देहरादून। मूल निवासी, भू-कानून संघर्ष समिति ने विधानसभा में पारित संशोधित भू-कानून की प्रतियां फाड़कर विरोध जताया। समिति का आरोप है कि इसमें भू-माफियाओं को जमीन लूट की और छूट दे दी गई है। इसे नगरीय क्षेत्रों में लागू नहीं किया गया, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 250 वर्ग मीटर जमीन खरीदने और 30 साल पर लीज पर जमीन लेने का प्रावधान किया गया है। उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित प्रेसवार्ता में शुक्रवार को समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि सरकार ने भू-कानून के नाम पर आम लोगों को धोखा दिया है। मोहित ने कहा कि सरकार ने भू-कानून में जो संशोधन किया है, उसमें हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर को बाहर कर दिया गया है, जबकि इन दिनों जिलों में सबसे ज्यादा भू-माफिया सक्रिय हैं। वहीं, यदि बाहरी व्यक्ति इन दो जिलों में जमीन खरीदता है, तो वो कुछ समय बाद स्थाई निवासी होकर पूरे राज्य में जमीनों की खरीद-फरोख्त कर सकता है। मोहित ने कहा कि यह पूरी तरह से राज्य के लोगों के साथ छलावा है। जो प्रावधान सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के लिए किए हैं, पहले की सरकारों में भी यही प्रावधान थे। तो फिर संशोधन किस स्तर पर हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार भू-कानून के नाम पर बस राजनीति कर रही है, इसे ऐसे प्रचारित किया जा रहा है, जैसे यह प्रदेश की बड़ी उपलब्धि है। जबकि असल में यह आम लोगों के धोखा है। मौके पर पूर्व आईएएस एसएस पांगती, पूर्व सैन्य अधिकारी पीसी थपलियाल, एलपी रतूड़ी, टीएस नेगी, संघर्ष समिति के प्रवक्ता हिमांशु रावत, समन्वयक प्रमोद काला, विपिन नेगी, आशुतोष कोठारी, आशीष नौटियाल, बॉबी रांगड़, मनेंद्र बिष्ट आदि मौजूद थे।

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