जनपद सम्मेलन में संस्कृत के प्रचार और प्रसार पर दिया जोर

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-विद्या मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने दी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति
जयन्त प्रतिनिधि। 
कोटद्वार। संस्कृत भारती की ओर से सरस्वती विद्या मंदिर जानकीनगर कोटद्वार में आयोजित संस्कृत जनपद सम्मेलन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए संस्कृत के प्रचार और प्रसार पर जोर दिया गया। कार्यक्रम में शासन की ओर से संस्कृत भाषा की उपेक्षा पर चिंता जताई है।
विद्यालय परिसर में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि एससीईआरटी के उपनिदेशक प्रदीप रावत ने संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता पर प्रकाश डाला। अपना वक्तव्य उन्होंने संस्कृत भाषा में ही दिया। विशिष्ट अतिथि डॉ. नागेंद्र ध्यानी ने संस्कृत के माध्यम से रोजगार की दिशा में बढ़ने की संभावना पर जोर दिया। विशेष अतिथि सत्यपकाश थपलियाल ने संस्कृत के लिए संस्कृत भारती की ओर से किये जा रहे कार्यों की सराहना की। मयंक कोठारी ने कहा कि संस्कृत भाषा का ज्ञान सभी को होना चाहिए। इस मौके पर साहित्यांचल संस्था के अध्यक्ष जनाद्र्धन बुड़ाकोटी ने शासन की ओर संस्कृत भाषा की उपेक्षा पर चिंता जताई है। कार्यक्रम में सार्थक और यथार्थ दोनों बच्चों की ओर बेहतरीन योग का प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर छात्रा नैंसी रावत ने ‘‘ऐ मेरे वतन के लोगों’’ गीत को संस्कृत में अनुवाद कर उसकाा गायन किया। कार्यक्रम में विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य लोकेंद्र अंथवाल, जिला प्रचारक पारस, डॉ. पदमेश बुढाकोटी, विजय लखेड़ा, सोमप्रकाश कंडवाल, डॉ. श्रीविलास बुड़ाकोटी, संजय रावत, मंजू कपरवाण, किशोर विडालिया, कविता ध्यानी, मयंक कोठारी, राकेश कंडवाल, एसएस नेगी, गणेश पसबोला, सतीश देवरानी, हरीश नौडियाल, प्रकाश कैंथोला, अब्बल रावत आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन कुलदीप मैंदोला और रोशन बलूनी ने संयुक्त रूप से किया।

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