सर्वोदय सेवक बिहारी लाल के निधन पर जताया शोक

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार।
गढ़वाल सर्वोदय मंडल कोटद्वार के सदस्यों ने सर्वोदय सेवक बिहारी लाल के आकस्मिक निधन पर शोक व्यक्त करते हुए भावभीनी श्रद्धाजंलि दी। चक्रधर शर्मा कमलेश ने कहा कि यह उल्लेखनीय है उसी दौर में बूढ़ा केदार क्षेत्र में सर्वणों द्वारा समय-समय पर दलितों को मंदिर में प्रवेश से रोकना, उनके पारिवारिक विवाह में डोला-पालकी का विरोध करना और अन्य तरह की सामाजिक प्रताड़नाएं भी प्रचलन में थी। वे अपने गांव में रहकर सामाजिक सेवा और जागरूकता के कार्यों से जुड़े रहे।
पदमपुर सुखरौ स्थित कार्यालय में आयोजित शोकसभा में सदस्यों ने दो मिनट का मौन रखकर दिवगंत आत्मा की शांति के लिए भगवान से कामना है। इस मौके पर सर्वोदय सेविका श्रीमती शशिप्रभा रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड में सामाजिक चेतना के अग्रदूत बिहारी लाल ने टिहरी जनपद की बालगंगा घाटी में स्थित प्राचीन तीर्थस्थान बूढ़ा केदारनाथ में वर्ष 1977 में लोक जीवन विकास भारती स्कूल का संचालन यह विचार लिए शुरू किया कि खुशहाल एवं लोकोपयोगी जीवन के लिए बुनियादी समझ बच्चे स्कूल में सीखें एवं जीवन में आत्मसात कर सके। बिहारी लाल को गौरवशाली पारिवारिक परंपरा विरासत में मिली जिसे उन्होंने जीवनभर और समृद्ध किया। गढ़वाल सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष सुरेंद्र लाल आर्य ने कहा कि जातीय भेदभाव से आज भी हमारा समाज पूरी तरह से उभर नहीं पाया है। समाजसेवी सत्यप्रकाश थपलियाल ने कहा कि बेहतर हो कि पूर्व में हमारे समाज में हुए ऐसे प्रयासों को अधिक से अधिक प्रभावी माध्यम से आज सामने लाया जाय। कै. पीएल खंतवाल ने कहा कि बिहारी लाल ने सर्वोदय के मूल विचारों को धरातल पर उतारा व सही अर्थों में गांधी का जीवन जिया। शोक व्यक्त करने वालों में सुरेंद्र लाल आर्य, पीएल खंतवाल, विनोद कुकरेती, चक्रधर शर्मा कमलेश, विनय रावत, श्रीमती मंजू रावत, प्रकाश कोठारी, डॉ. गीता रावत शाह, अधिवक्ता जगमोहन भारद्वाज, शूरवीर खेतवाल, विकास आर्य आदि शामिल थे।

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