उत्तराखंड

राजकीयकरण करने की मांग को धरने पर बैठे

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बागेश्वर। पेयजल निगम का राजकीयकरण करने की मांग को लेकर अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति धरने पर बैठ गई है। यहां हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि वह अपनी न्यायोचित मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार के कानों जूं तक नहीं रेंग रही है। यदि जल्द मांग पूरी नहीं हुई तो 28 से कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया जाएगा। इसकी सारी जिम्मेदारी शासन की होगी।
समिति से जुड़े लोग सोमवार को पेजयल निगम कार्यालय में पहुंचे। यहां नारेबाजी के साथ धरने पर बैठ गए। यहां हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड पेयजल निगम व जल संस्थान राजकीयकरण व एकीकरण होने से सबसे अधिक लाभ प्रदेश की जनता को होगा। सरकार के खर्च में कमी आएगी। छोटे राज्य को इसका लाभ मिलेगा। वक्ताओं ने कहा कि वह अपनी मांगों को लेकर चरणबद्घ तरीके से आंदोलन कर रहे हैं, इसके बाद भी सरकार उनकी मांगों को मानने को तैयार नहीं है। पहले पांच जुलाई को जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपा। 11 को नगर इकाइयों के माध्मय से ज्ञापन सौंपा। 21 को गेट मीटिंग की। 18 अगस्त को गढ़वाल मंडल व 20 को कुमाऊं मंडिल के कर्मचारियों ने प्रधान कार्यालय में धरना दिया। 25 से 27 तक जिला तथा नगर इकाई धरना देगी। इसके बाद भी यदि मांग पूरी नहीं हुई तो 28 से अनिश्चितकालीन धरना दिया जाएगा। धरना प्रर्दशन में संयोजक बीएस रौतेला, सह संयोजक पूरन चंद्र पांडे, उदय शंकर राणा, कैलाश राणा, लीलाधर अंडोला, भुवन चंद्र लोहनी, चंदन सिंह, नरेंद्र सिंह धामी, मनोज खड़का, शंकर लाल साह, भाष्करानंद उपाध्याय, कमला देवी, चंद्रा देवी आदि मौजूद रहे।

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