एससी-एसटी आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। अनुसूचित जाति-जनजाति शिक्षक एसोसिएशन उत्तराखण्ड ने केन्द्र सरकार से एससी-एसटी आरक्षण को संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की है। एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि उक्त विषय पर राज्यसभा द्वारा पारित एवं लोकसभा में लंबित 117वें संविधान संशोधन बिल 2012 को पारित करवाकर संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाय।
एसोसिएशन के महामंत्री जगदीश राठी ने उपजिलाधिकारी योगेश मेहरा के माध्यम से प्रधानमंत्री को भेजे ज्ञापन में कहा कि 24 सितम्बर 1932 पूना एक्ट में जातिगत व अश्पृश्यता के आधार पर इस वर्ग को समानता आने तक प्रतिनिधित्व किये जाने का समझौता हुआ था, जिसके दृष्टिगत ही संविधार के भाग तीन में अनुच्छेद 14 से 18 में समता का अधिकार मौलिक अधिकारों के अंतर्गत प्राविधानित किया गया है। अनुच्छेद 16 में लोक नियोजन अवसर की समानता की व्यवस्था विद्यमान है। इसके विपरीत वर्ष 2012 से राज्य सरकार द्वारा उत्तराखण्ड प्रदेश में बिना संवैधानिक प्रक्रिया अपनाए एससी, एसटी को पदोन्नति में आरक्षण नहीं दिया जा रहा है। वर्ष 1992 के उपरान्त 77वें व 85वें संविधान संशोधन के दृष्टिगत अनुच्छेद 16 (4 क) में वर्णित प्रावधानों के कारण राज्य सरकारों को एससी-एसटी के लोग सेवकों को पदोन्नति के अवसर पर आरक्षण का लाभ अनुमन्य करने हेतु समर्थकारी शक्ति प्रदान की गयी है, लेकिन कई जातिवाद व असमानता बढ़ी है। इसलिए लोक सवकों को पदोन्नति में आरक्षण का अवसर दिया जाना नितांत आवश्यक है।