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सेब काश्तकारों के चेहरे खिले

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उत्तरकाशी। हर्षिल वैली में आजकल सेब काश्तकारों के चेहरे खिले हुए हैं। बड़ी संख्या में सेब कारोबारी यहां पहुंचकर खरीद कर रहे हैं। साथ ही बाहरी क्षेत्रों से आ रहे पर्यटक भी रसीले खुशबूदार सेबों का स्वाद चख रहे हैं। इस बार क्षेत्र में बीते सालों के मुकाबले ज्यादा सेब उत्पादन होने के साथ ही किसानों को सेब के अच्छे दाम भी मिल रहे हैं। इस बार सर्दियों में पर्याप्त बर्फबारी से सेब वृक्षों की न्यूनतम अवशीतन आवश्यकता पूरी होने से उपला टकनौर क्षेत्र में सेब का अच्छा उत्पादन हुआ। हालांकि फ्रूटिंग के दौरान अपेक्षित बारिश नहीं होने से सेब का आकार बड़ा नहीं हो पाया और रंग भी नहीं आया। क्षेत्र में पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के साथ ही मैदानी मंडियों से सेब कारोबारी भी यहां पहुंचने लगे हैं। जिले में जटा नौगांव तथा झाला में कोल्ड स्टोर का संचालन कर रही जगदंबा समिति और कैंप फ्रूट कंपनी भी जमकर सेब की खरीद कर रही है। धराली के सचेंद्र पंवार, महेश पंवार आदि ने बताया कि शुरूआती दौर में खरीदारों के नहीं पहुंचने से किसानों को कम दाम पर अपने सेब बेचने पड़े, जिससे कुछ किसानों को नुकसान हुआ। हालांकि अब बड़ी संख्या में सेब कारोबारियों के पहुंचने से सेब के अच्छे दाम मिल रहे हैं। साथ ही खुले बाजार में भी पर्यटक एवं तीर्थयात्री सेब की खरीद कर रहे हैं। सुक्की गांव के मोहन सिंह राणा ने बताया कि कारोबारियों के बीच स्पर्द्धा के चलते किसानों को अब सेब के अच्छे दाम मिल रहे हैं। ‘ए’ ग्रेड का सेब 70 से 80 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है। कोल्ड स्टोर में जमा कर रहे हैं सेब: झाला में पीपीपी मोड में सरकारी कोल्ड स्टोर संचालित कर रही कैंप फ्रूट कंपनी के किरण पाल ने बताया कि इस बार क्षेत्र में सेब को अपेक्षित आकार एवं रंग नहीं मिला है, लेकिन उत्पादन काफी अच्छा हुआ है। कंपनी किसानों से औसत 32 से 47 रुपये प्रतिकिलो की दर से सेब खरीद कर कोल्ड स्टोर में जमा कर रही है।
बीते साल हर्षिल वैली में करीब 1800 मीट्रिक टन सेब का उत्पादन हुआ था, जबकि इस बार ढाई हजार मीट्रिक टन से अधिक सेब उत्पादन हुआ है। हालांकि अधिक उत्पादन के चलते इस बार सेब को आकार नहीं मिल पाया, लेकिन कोविड-19 के चलते देश की मंडियों में विदेशों से सेब की आवक नहीं होने से यहां के सेब को अच्छे दाम मिले हैं। – एनके सिंह, सहायक उद्यान अधिकारी उत्तरकाशी

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