कछुआ चाल से चल रहा सुरक्षा दीवार निर्माण कार्य, बरसात में बढ़ेगी मुश्किल

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गत वर्षाकाल में विकराल बनी नदियों ने आबादी क्षेत्र में मचाया था खूब तांडव
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : सरकारी सिस्टम की सुस्त कार्यप्रणाली इस वर्ष बरसात में दोबारा मुश्किलें खड़ी कर सकती है। हालत यह है कि कुछ माह बाद वर्षाकाल शुरू होने वाला है और अब तक नदियों के किनारे सुरक्षा दीवार निर्माण का कार्य पूर्ण नहीं किया गया है। जबकि, गत वर्षाकाल में नदियों ने विराल रूप धारण कर खूब तांडव मचाया था। एक ओर जहां काश्तकारों की कई बीघा भूमि नदी की भेंट चढ़ गई थी। वहीं, क्षेत्र में कई मकान नदी में ढह गए थे। बावजूद सरकारी सिस्टम सुरक्षा दीवार निर्माण कार्य में सुस्ती दिखा रहा है।
बीते वर्षाकाल में क्षेत्र की खोह, सुखरो व मालन नदी ने खूब तांडव मचाया। काश्तकारों की कई बीघा भूमि नदी में बह गई थी। यही नहीं, विकराल बनी खोह नदी ने गाड़ीघाट, काशीरामपुर तल्ला व कुंभीचौड़ क्षेत्र के 35 भवनों को भी लील दिया था। बेघर हुए यह परिवार आज भी किराए के कमरों व सड़क किनारे टेंट लगाकर दिन काट रहे हैं। वर्षा काल के बाद करीब चार माह पूर्व सरकारी सिस्टम ने बाढ़ से बचाव के लिए नदियों के तट पर सुरक्षा दीवार निर्माण की योजना बनाई। सुरक्षा दीवार निर्माण से जहां काश्तकारों की भूमि का बचाव होगा वहीं, आवासीय भवनों की भी सुरक्षा होगी। लेकिन, जिस तरह से नदियों के तट पर बाढ़ सुरक्षा दीवार निर्माण कार्य चल रहा है उससे लगता नहीं कि वह बरसात से पूर्व यह कार्य पूर्ण हो पाएगा। कई स्थानों पर अब तक कार्य भी प्रारंभ नहीं किया गया है। काश्तकारों का कहना है कि बीते दस साल में नदी तट पर करीब पचास बीघा खेती की जमीन बहकर नदी में समा गई है। इस वर्ष की आपदा ने किसानों को बुरी तरह झकझोर दिया है।

सिंचाई नहरों की भी नहीं हुई मरम्मत
भाबर क्षेत्र में बाढ़ से सिंचाई गूलों को भी भारी नुकसान हुआ था। ऐसे में काश्तकारों के समक्ष खेती के लिए पानी की समस्या भी उत्पन्न हो गई है। लेकिन, अब तक विभाग ने सिंचाई गूलों की मरम्मत तक नहीं करवाई है। जबकि, भाबर क्षेत्र के काश्तकार लगातार गूलों के मरम्मत की मांग उठा रहे हैं। सरकारी सिस्टम की कार्यप्रणाली से लगता है कि उसे काश्तकारों के हितों को लेकर कई परवाह ही नहीं है।

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