सेंसिटिव जोन की बंदिशों से मुक्त होगा हेमकुंड-गोविंदघाट मार्ग
जोशीमठ । विश्व धरोहर में शुमार फूलों की घाटी और नंदादेवी राष्ट्रीय पार्क के ईको सेंसिटिव जोन की पिछले पांच साल से चल रही मुहिम अब परवान चढ़ने की ओर अग्रसर है। सेंसिटिव जोन की 10 किमी की सीमा की तय परिधि से इतर इसे 90 मीटर से साढ़े चार किमी तक करने का प्रस्ताव है। फूलों की घाटी के सेंसिटिव जोन में गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब मार्ग को इससे मुक्त रखने का प्रस्ताव है। इन प्रस्तावों से क्षेत्रवासी भी सहमत हैं। शासन में मंथन के बाद अंतिम अधिसूचना के लिए इन्हें केंद्र को भेजा जाएगा।
फूलों की घाटी और नंदादेवी राष्ट्रीय पार्क के ईको सेंसिटिव जोन की प्रारंभिक अधिसूचना 2015 में जारी हुई थी। इसमें दोनों राष्ट्रीय उद्यानों के चारों तरफ 10 किमी की परिधि को सेंसिटिव जोन घोषित किया गया। इस बीच इसे लेकर आई आपत्तियों के बाद 2018 में केंद्र ने इसे वापस उत्तराखंड को भेजा। अब इनके फाइनल सेंसिटिव जोन की अधिसूचना जारी होनी है। हाल में शासन स्तर पर हुई बैठक में भी ईको सेंसिटिव जोन के प्रस्ताव में जनहित को ध्यान में रखते हुए तब्दीली करने के निर्देश दिए गए।
जनसुनवाई के बाद वन महकमे ने इसका मसौदा तैयार कर लिया है। ब्लाक सभागार में स्थानीय लोगों और प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक में वन विभाग ने इसे साझा किया। बताया गया कि ईको सेंसिटिव जोन की परिधि को 10 किमी से घटाकर 90 मीटर से लेकर साढ़े चार किमी किया गया है। इसमें स्थानीय लोगों के हक हकूक सुरक्षित रखे गए हैं। इसमें घांघरिया, हेमकुंड, पुलना, भ्यूंडार, हनुमानचट्टी, माणा को सेंसिटिव जोन से बाहर करने का भी प्रस्ताव है।
नंदादेवी राष्ट्रीय पार्क के उपवन संरक्षक नंदाबल्लभ शर्मा के मुताबिक फूलों की घाटी के इको सेंसेटिव जोन की परिधि से गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब तक के 19 किमी मार्ग को बाहर करने का प्रस्ताव है। उन्होंने बताया कि ये प्रस्ताव शासन को भेजे जाएंगे। शासन स्तर पर मंथन के पश्चात इन्हें केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजा जाएगा।