देहरादून। दून अस्पताल के मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों ने एक ही दिन में सात जिंदगी बचाई। इन सातों को अति गंभीर स्थिति में अस्पताल लाया गया था। इन मरीजों में सांप, बिच्छू के काटे, कीटनाशक, टरमाइट किलर या फिनाइल जैसी विषैली चीजों का सेवन करने, मच्छर मारने वाली कॉइल खा लेने, नशे में बहुत ज्यादा दवा खा लेने वाले मरीज थे। टीम में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अरुण कुमार पांडेय, पीजी चिकित्सक डॉ. प्रशांत, डॉ. नंदना, डॉ. प्रत्यक्ष, ईएमओ डॉ. रजदीप, इंटर्न डॉ. प्रियंका और इमरजेंसी के स्टाफ का सहयोग रहा। डॉ. पांडेय ने बताया कि कुछ मामलों की जड़ में मानसिक तनाव, अवसाद और सामाजिक-व्यक्तिगत संघर्ष जैसी समस्याएं थीं। कुछ मरीज पारिवारिक कलह, नशे की लत या सामाजिक दबावों के चलते आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर हुए थे। कहा कि जहर का इलाज तो कर सकते हैं, लेकिन उस मानसिक जहर का भी इलाज करना होगा, जो ऐसा कदम उठाने पर मजबूर करता है। इसीलिए मानसिक स्वास्थ्य को भी तरजीह देनी होगी। प्राचार्य डॉ. गीता जैन, एमएस डॉ. आरएस बिष्ट एवं डीएमएस डॉ. एनएस बिष्ट ने टीम को सराहा।