उत्तराखंड

विरासत और संस्कृति की रक्षा करना सभी का कर्तव्य : शंकराचार्य

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चमोली : ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द का कहना है कि विरासत और संस्कृति की रक्षा करना हम सब का प्रथम कर्तव्य होना चाहिए। बुधवार को मीडिया से बातचीत में शंकराचार्य ने कहा बदरीनाथ धाम की मर्यादा बनाए रखते हुए विकास कार्य होना चाहिए। भव्यता के लिए देवभूमि की दिव्यता प्रभावित नहीं होनी होनी चाहिए। शंकराचार्य ने कहा कि बदरीनाथ धाम में भगवान साक्षात विराजमान रहते हैं। यहां जो भी विकास कार्य हों उससे किसी भी तीर्थ, मन्दिर और परम्पराओं को कोई क्षति नहीं पहुंचनी चाहिए। बदरीनाथ में कूर्म धारा और प्रह्लाद धारा की वर्तमान समय में दयनीय स्थिति पर उन्होंने चिन्ता जताई। कहा कि इन धाराओं के माध्यम से भगवान बदरीविशाल का सीधा आशीर्वाद भक्तों को मिलता था। ये धाराएं रुकी रहेंगी तो भगवान का आशीर्वाद कैसे मिलेगा। अपने कल्याण के लिए प्रशासन और सरकार को इस पर तत्काल ध्यान देकर इन धाराओं को निर्बाध रूप से बहने देना चाहिए। बता दें बदरीनाथ मास्टर प्लान के तहत चल रहे निर्माण कार्य के तहत अभी कूर्म और प्रह्लाद धारा तक का पहुंच मार्ग क्षतिग्रस्त हो रखा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बदरीनाथ में चल रहे मास्टर प्लान कार्य के तहत खुर्द बुर्द होने से इन पवित्र जल धाराओं का जल भी निरंतरता से प्रवाहित नहीं हो रहा है। (एजेंसी)

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