उत्तराखंड

शंकराचार्य ने ज्योर्तिमठ के नृसिंह मंदिर में की पूजा

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चमोली : शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरान्द सरस्वती के द्वारा 16 दिसंबर को हरिद्वार के चंडीघाट से शुरू की गई शीतकालीन चारधाम दर्शन तीर्थ यात्रा खरसाली, मुखबा, ओंकारेश्वर ऊखीमठ होते हुए शुक्रवार को बदरीनाथ के शीतकालीन पूजा स्थली ज्योर्तिमठ के नृसिंह मंदिर पहुंची। नृसिंह बदरी मंदिर पहुंचने पर लोगों ने पुष्पवर्षा कर शंकराचार्य का स्वागत किया। शंकराचार्य का जगतगुरुकुलम विद्यालय में अध्ययनरत छात्रों ने स्वस्तिवाचन कर शंकराचार्य का स्वागत किया। महिलाओं ने मठांगन में मांगल गीत गाए और भजन कीर्तन किया। शीतकालीन पूजा स्थली नृसिंह बदरी में दर्शन एवं पूजा अर्चना के बाद शंकराचार्य ने प्रथम प्रयाग विष्णु प्रयाग पहुंचकर भगवान विष्णु की पूजा की जहां से पांडुकेश्वर पहुंचकर भगवान उद्धव, कुबेर में मंदिरों में भी दर्शन किए। इस अवसर पर मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी, श्रणवानन्द, कुशलानन्द बहुगुणा, वृजेश सती , वैभव सकलानी आदि मौजूद रहे।
ज्योर्तिमठ पहुंचकर शंकराचार्य ने भगवाना गरूड़, नवदुर्गा, वासुदेव, महालक्ष्मी, भगवान नृसिंह, राजराजेश्वरी व आदि शंकराचार्य कोठ के दर्शन कर विशेष पूजा अर्चना की। मठांगन में शंकराचार्य ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तराखंड के चारधाम सिद्ध पीठ हैं व आध्यात्मिक ऊर्जा से ओत प्रोत हैं। शंकराचार्य ने कहा कि सदैव से भक्त शीतकालीन चारधाम पूजा स्थली शक्ति पीठों में दर्शन के लिए आने के लिए लालायित रहते हैं। कहा कि पिछले कुछ दशकों से ग्रीष्मकालीन पूजा स्थल बदरीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री व गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद लोगों तक यह संदेश जाने लगा कि मात्र ग्रीष्मकाल में ही उत्तराखंड के चारों धाम में तीर्थ यात्री दर्शन करते हैं व शीतकाल में आराध्यों की पूजायें नहीं हो सकती हैं, जो गलत है। छह-छह माह के आधार पर चारों धामों की पूजायें वर्ष भर संपादित होती हैं ग्रीष्मकाल में मुख्य धाम में व शीतकाल में शीतधाम में भक्त दर्शन एवं पूजायें करते हैं। शंकराचार्य ने कहा कि उनके द्वारा शुरू की गई शीतकालीन चारधाम यात्रा का उद्देश्य तीर्थ यात्रियों को शीतकाल में भी दर्शन स्थलों एवं पीठों तक लाना है ताकि स्थानीय लोगों, हक हकूकधारियों, पंडा पुरोहितों समेत पूरे प्रदेश को इससे लाभ मिले। (एजेंसी)

सनातन धर्म और हिन्दू धर्म में कोई अंतर नहीं
शंकराचार्य ने कहा कि सनातन धर्म व इसके मूल्य शाश्वत हैं व इसके मूल्य परिस्थितियों के अनुसार बदल नहीं सकते हैं। कहा कि हिन्दू का अर्थ हिंसा से दूर रहना है, हिन्दू एवं सनातनी दोनों का अर्थ एक ही है। आजकल एक नया शब्द आ गया है हिन्दुत्व। कहा कि वास्तव में हिन्दुत्व का अर्थ हिन्दू होने का भाव है, लेकिन आजकल का प्रचलित हिन्दुत्व शब्द राजनैतिक प्रयोग है। वर्तमान में हिन्दुत्व व हिन्दू शब्द का प्रचलन धर्म पालन के लिए नहीं अपितु हिन्दुओं को एकत्रित कर राजनैतिक सत्ता प्राप्ति के लिए अधिक किया जा रहा है।

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