शांति प्रसाद अध्यक्ष व राजेश बने प्रबंधक
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : ज्वालपा धाम स्थित श्री ज्वालपा देवी मंदिर समिति की पुरानी कार्यकारणी को भंग कर नवीन कार्यकारणी का गठन किया गया। इस दौरान शांति प्रसाद थपलियाल को अध्यक्ष व राजेश थपलियाल को प्रबंधक की जिम्मेदारी दी गई।
समिति के नियमित चुनाव व्यवस्था के क्रम में डा. देवकृष्ण थपलियाल एसोसिएट प्रोफेसर, राठ राजकीय महाविद्यालय पौड़ी गढ़वाल ने निष्पक्ष निर्वाचन अधिकारी की भूमिका निभाई। सदस्यों ने पूरी कार्यकारिणी का चुनाव निर्विरोध किया। सदस्यों ने विजय कुमार चंद्रा को ध्वनिमत से समिति का संरक्षक घोषित किया। अध्यक्ष पद पर कर्नल शांति प्रसाद थपलियाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद के लिए ग्रुप कैप्टन कमलरूप चंद्रा, उपाध्यक्ष पद के लिए शिवदयाल बौंठियाल, मुख्य सचिव के पद के लिए उमेश नौडियाल, उप सचिव/ जनसंपर्क अधिकारी पद के लिए पार्थ सारथि थपलियाल, कोषाध्यक्ष पद के लिए जे.पी. ध्यानी को, प्रबंधक पद के लिए राजेश प्रकाश थपलियाल, व्यवस्थापक पद के लिए मुकुल थपलियाल और संप्रेक्षक पद के लिए वीरेंद्र मैठाणी को चुना। अन्य सदस्यों में सरोज थपलियाल, रमेश चंद्र थपलियाल, रंजना चंद्रा और विनोद जुगराण को चुना गया। निर्वाचन अधिकारी डॉ. देवकृष्ण थपलियाल ने चुनाव परिणाम घोषित किए। चुनाव परिणाम घोषणा के बाद नई कार्यकारिणी की पहली बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता संरक्षक विजय कुमार चंद्रा डंडरियाल ने की। आरंभ में समिति के अध्यक्ष कर्नल शांति प्रसाद थपलियाल ने सदस्यों का स्वागत किया और कार्यकारिणी में चयन होने पर बधाई दी। उपाध्यक्ष शिवदयाल बौंठियाल ने बधाई देते हुए कहा कि समिति के पास लोकसेवा का अवसर है, हमें तेजी से इन उद्देश्यों को पूरा करने में लग जाना चाहिए, जो अभी पूरे नहीं हुए हैं। यह आपसी सद्भाव और निरंतर चिंतन से संभव है। पूर्व मुख्य सचिव रमेश थपलियाल ने समिति के भवनों में रखरखाव को सुधारने पर बल दिया। समिति के कुछ कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव को स्वीकार किया गया। महाविद्यालय और विद्यालय के मध्य बेहतर तालमेल की आवश्यकता पर बल दिया गया। अध्यक्ष कर्नल शांति प्रसाद थालियाल ने बहुत समय से लंबित पड़े कार्यों को गिनाया और तेज गति से उन्हें पूरा करने की प्रेरणा दी। अधिवेशन के अंत में समिति के संरक्षक विजय कुमार चंद्रा डंडरियाल ने कार्यकारिणी के नवनिर्वाचित सदस्यों को बधाई दी। हम सभी का दायित्व है पारस्परिक सद्भाव को बढ़ाएं। सकारात्मक सोच संस्था को आगे बढ़ाने में मदद करती है। उन्होंने सुझाव दिया कि मंदिर समिति को विशिष्ठ व्यक्तियों के लिए समुचित गेस्ट रूम तैयार करने चाहिए, साथ ही एक सभागार का निर्माण भी किया जाना चाहिए। उन्होंने समिति के प्रति निष्ठापूर्वक कार्य में जुटे रहने और सहयोग करने के लिए सभी सदस्यों का धन्यवाद व्यक्त किया।