नई दिल्ली , कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर के पार्टी नेतृत्व के साथ रिश्तों को लेकर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। राहुल गांधी ने कांग्रेस के सभी 99 लोकसभा सांसदों की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई थी, जिसमें शशि थरूर शामिल नहीं हुए। यह लगातार तीसरा मौका है जब थरूर पार्टी की किसी अहम बैठक से नदारद रहे हैं। संसद का शीतकालीन सत्र 19 दिसंबर को समाप्त होने वाला है और उससे पहले सत्ता पक्ष को घेरने की रणनीति तय करने के लिए बुलाई गई इस बैठक में उनकी गैरमौजूदगी ने राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं को हवा दे दी है।
शशि थरूर द्वारा अतीत में कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ किए जाने के चलते पार्टी के भीतर पहले से ही असहजता की स्थिति बनी हुई है। हालांकि, शुक्रवार की बैठक में शामिल न होने के पीछे थरूर की निजी व्यस्तता बताई जा रही है। उनके सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्सÓ पर दी गई जानकारी के अनुसार, वह फिलहाल कोलकाता में हैं। उन्होंने बताया कि उनके लंबे समय तक सहयोगी रहे जॉन कोशी की शादी और उनकी बहन स्मिता थरूर का जन्मदिन है, जिसके चलते वह वहां एक आयोजन में व्यस्त हैं। गौर करने वाली बात यह भी रही कि इस बैठक में सांसद मनीष तिवारी भी मौजूद नहीं थे, जिन्हें लेकर भी अक्सर कयास लगाए जाते रहे हैं।
इससे पहले नवंबर महीने में भी शशि थरूर दो बड़ी बैठकों में शामिल नहीं हुए थे। 30 नवंबर को सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई बैठक में उनकी अनुपस्थिति पर सफाई दी गई थी कि वह अपनी 90 वर्षीय मां के साथ केरल से दिल्ली लौट रहे थे और फ्लाइट रीशेड्यूल होने के कारण वह पहुंच नहीं सके थे। वहीं, 18 नवंबर को विशेष गहन पुनरीक्षण (स्ढ्ढक्र) पर चर्चा के लिए सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा बुलाई गई बैठक में भी वह खराब सेहत का हवाला देकर शामिल नहीं हुए थे। अगस्त 2020 में नेतृत्व के खिलाफ आवाज उठाने वाले जी-23 समूह में शामिल रहने और अब लगातार बैठकों से दूरी बनाने के कारण थरूर के अगले सियासी कदम को लेकर आशंकाएं गहराने लगी हैं।