शेख हसीना का ‘मास्टरप्लान वापसी के लिए रखीं दो बड़ी शर्तें, यूनुस पर किया तीखा प्रहार

Spread the love

ढाका , बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने स्वदेश वापसी की इच्छा जताते हुए इसके लिए कड़ी शर्तें रखी हैं। भारत में किसी अज्ञात स्थान से दिए एक ईमेल इंटरव्यू में, हसीना ने साफ कहा कि वह तभी लौटेंगी जब देश में ‘भागीदारीपूर्ण लोकतंत्रÓ बहाल हो और उनकी पार्टी आवामी लीग पर लगा प्रतिबंध हटा दिया जाए। उन्होंने स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनावों की भी मांग की।
शेख हसीना का यह कड़ा बयान ऐसे समय में आया है जब उनकी पार्टी आवामी लीग ने 13 नवंबर को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।
यूनुस सरकार पर ‘चरमपंथÓ को बढ़ावा देने का आरोप
इंटरव्यू के दौरान शेख हसीना ने वर्तमान अंतरिम सरकार और उसके प्रमुख मुहम्मद यूनुस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने यूनुस सरकार पर भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को खराब करने और चरमपंथी तत्वों को बढ़ावा देने का गंभीर आरोप लगाया।
अपनी विदेश नीति की तुलना अंतरिम सरकार से करते हुए उन्होंने कहा कि ढाका और नई दिल्ली के बीच के ‘व्यापक एवं गहनÓ रिश्तों को यूनुस की ‘मूर्खतापूर्ण कार्रवाइयोंÓ का डटकर मुकाबला करना चाहिए। हसीना ने यूनुस की भारत विरोधी नीति को ‘मूर्खतापूर्ण और आत्मघातीÓ करार दिया, जो उन्हें एक ‘कमजोर, अनिर्वाचित और चरमपंथियों के भरोसे पर टिकेÓ शासक के रूप में चित्रित करती है।
भारत का किया धन्यवाद
शेख हसीना ने उन्हें शरण प्रदान करने के लिए भारत सरकार का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, मैं भारत सरकार तथा उसके लोगों के उदार स्वागत के लिए बेहद कृतज्ञ हूं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि बांग्लादेश लौटने की उनकी प्रमुख शर्त वही है जो बांग्लादेशी जनता की इच्छा है—भागीदारीपूर्ण लोकतंत्र की बहाली। उन्होंने कहा, अंतरिम प्रशासन को आवामी लीग पर प्रतिबंध हटाना होगा तथा स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनाव आयोजित करने होंगे।
अगस्त की हिंसा पर भी तोड़ी चुप्पी
बांग्लादेश की सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना ने 5 अगस्त 2024 को हिंसक सरकार-विरोधी प्रदर्शनों के बाद देश छोड़ दिया था। इस आंदोलन के दबाव में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा और अंत में वे भारत पहुंच गईं, जिसके बाद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार का गठन हुआ।
जब उनसे पूछा गया कि क्या उनकी सरकार ने प्रदर्शनों को सही ढंग से नियंत्रित नहीं किया, तो 78 वर्षीय नेता ने स्वीकार किया कि निश्चित रूप से स्थिति हमारे नियंत्रण में नहीं थी और यह दुखद है। हालांकि, उन्होंने इन भयावह घटनाओं के लिए तथाकथित छात्र नेताओं को भी जिम्मेदार ठहराया, जिन्होंने भीड़ को भड़काया।
‘आवामी लीग के बिना चुनाव वैध नहींÓ
हसीना ने उन खबरों को सिरे से खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि उन्होंने अगले साल फरवरी के चुनावों का बहिष्कार करने का आह्वान किया है। उन्होंने जोर देकर कहा, आवामी लीग के बिना कोई भी चुनाव वैध नहीं होगा। मुझे भरोसा है कि यह मूर्खतापूर्ण प्रतिबंध हटा लिया जाएगा। चाहे सत्ता में हो या विपक्ष में, आवामी लीग को बांग्लादेश की राजनीतिक प्रक्रिया का अभिन्न अंग बनना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *