शिक्षा नीति में संस्कृत की संभावना विषय पर हुई ऑनलाइन संगोष्ठी
-संस्कृत से ही भारतीय संस्कृति की पहचान
अल्मोड़ा। संस्कृत अकादमी उत्तराखंड की ओर से अल्मोड़ा में मंगलवार को शिक्षा नीति में संस्कृत की संभावना विषय पर गूगलमीट के माध्यम से ऑनलाइन संगोष्ठी हुई। अकादमी के पक्ष से शोध अधिकारी डा. हरीश चंद्र गुरुरानी ने संस्कृत के प्रचार- प्रसार के लिये चलाये जा रहे कार्यक्रमों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस वर्ष संस्कृत प्रतिभा प्रदर्शन प्रतियोगिता में प्रतिभागी को घर से विडियो बनाकर प्रेषित करना होगा। विशिष्ट अतिथि बीईओ भैसियाछाना हरीश रौतेला ने कहा कि संस्कृत स्वयमेव एक विशिष्ट भाषा है। इसको हम उल्टा या सीधा जिस भी तरह लिखें या बोलें अर्थ परिवर्तन नहीं होता। महाविद्यालय रामनगर नैनीताल मुख्य वक्ता डा. मूलचन्द्र शुक्ल ने कहा कि नई शिक्षानीति में संस्कृत का अतिरिक्त उल्लेख नहीं है। लेकिन संस्कृत की महत्ता को पाश्चात्य वैज्ञानिक स्वीकार कर रहे हैं। चम्पावत से संस्कृत के ख्याति प्राप्त साहित्यकार डा. कीर्ति बल्लभ शक्टा ने संस्कृत में संबोधन करते हुये कहा कि संस्कृत हमारी धरोहर है। इसी के माध्यम से भारतीय संस्कृति की पहचान है। हमारे संस्कार इसी भाषा में सम्पादित होते हैं। सीईओ एचबी चंद ने कहा कि संस्कृत अद्वितीय भाषा है। जिसका कोई दूसरा संस्करण नहीं सभी स्थानों पर एक समान ही बोली जाती है। संगोष्ठी में जनपद संयोजक डा. हेम चंद्र जोशी, सह संयोजक मोती प्रसाद साहू, गिरीश जोशी डा. हेम तिवारी, अनिल, अर्जुन, विद्या भाकुनी, हेम लता वर्मा, डा. घनश्याम भट्ट, डा. सुरेश चंद्र,प्रेमा,कविता तिवारी,ज्योति पोखरिया डा. निर्मल पंत सहित 52 लोग शामिल हुये।