उत्तराखंड

महाराणा प्रताप की जयंती पर शोभा यात्रा निकाली

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रुद्रपुर। वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती पर भव्य शोभायात्रा नानकमत्ता गुरुद्वारा साहिब से शुरू होकर मीरा बारह राणा परिसर में पहुंची। यहां महाराणा प्रताप की प्रतिमा में पुष्प अर्पित किए। शोभायात्रा का मझोला में मंदिर के महंत ष्ण कुमार शर्मा, एव रामभरोसे गिरी ने सरोपा भेंट करके यात्रा का स्वागत किया गया। यहां प्रसाद वितरण भी किया गया। सितारगंज के महाराणा प्रताप चौक पर स्थानीय लोगों ने यात्रा का स्वागत करते हुए मीठा जल वितरण किया। सिसौना में सरस्वती शिशु मंदिर व स्थानीय लोगों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। मीरा बारह राणा परिसर में आयोजित गोष्ठी में मुख्य वक्ता पंतनगर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ड़ शिवेंद्र ने वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जिस प्रकार राष्ट्र के प्रति समर्पण भावना रखते हुए वे सदैव रणभूमि में अपने अलग व्यक्तिव के लिए पहचाने जाते थे। उसी प्रकार आज की पीढ़ी को भी राष्ट्रवाद की भावना से ओत प्रोत होना चाहिए। महाराणा प्रताप के भाले का वजन 81 किग्रा था, साथ ही उनके छाती का कवच 72 किग्रा का था। भाला, कवच, ढाल और दो तलवारों के साथ उनके अस्र और शस्रों का वजन 208 किलोग्राम था और यह भार वे अपनी मातृभूमि के प्रति स्नेह के कारण वहन करके चल पाते थे। महाराणा प्रताप ने अपनी मां से ही युद्घ कौशल सीखा था। देश के इतिहास में दर्ज हल्दीघाटी का युद्घ आज भी पढ़ा जाता है। राजा महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच लड़ा गया ये युद्घ बहुत विनाशकारी था, लेकिन उन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए अपने प्राण त्यागना ज्यादा जरूरी समझा बजाए रण छोड़कर जाने के। वहीं कार्यक्रम में श्रीपाल राणा, डालचंद अग्रवाल, सुरेश राणा, रामकिशोर, मलकीत सिंह, हुकुमचन्द, सुरेश जोशी, राकेश राणा, ष्णपाल, आशीष पांडेय, डिल्लू राणा, रमेश राणा, कन्हई राणा, विनोद राणा, हरीश, तरुण, सूरज, पवन बिंद, प्रकाश सिंह आदि मौजूद रहे।

 

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