बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, जातिगत आरक्षण पर हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं

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नई दिल्ली , बिहार में 65प्रतिशत आरक्षण मामले में नीतीश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीमकोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने 20 जून को बिहार सरकार के 65प्रतिशत जाति आधारित आरक्षण देने के फैसले को असंवैधानिक मानते हुए रद्द कर दिया था।
पटना हाईकोर्ट के फैसले को नीतीश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन फिलहाल उसे कोई राहत नहीं मिली है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की अपील को सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया है। कोर्ट ने वकील मनीष कुमार को नोडल वकील नियुक्त किया है। कोर्ट इस मामले में अब सितंबर में सुनवाई करेगा। दरअसल बिहार सरकार ने शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण को 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी आरक्षण करने का कानून 9 नवंबर 2023 को पारित किया था। बिहार सरकार ने पिछले साल जातीय जनगणना कराई थी और उसके बाद इसी आधार पर ओबीसी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, दलित और आदिवासियों का आरक्षण बढ़ाकर 65 फ़ीसदी करने का फैसला किया था, जिसे पटना हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था।
बिहार सरकार ने अपनी याचिका में हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी और कहा था कि अगर अंतरिम राहत नहीं मिलती है तो राज्य में बड़ी संख्या में भर्ती प्रक्रियाएं चल रही हैं, जिनमें से कुछ अग्रिम चरणों में हैं। इससे चयन प्रक्रिया पर असर पड़ेगा। याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट का यह निष्कर्ष कि जाति सर्वेक्षण के आंकड़ों के आधार पर पिछड़े वर्गों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है। ये राज्य के विवेक का हनन है।
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